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करोड़ों खर्च…, फिर भी शहर को डूबो रहे अफसर

११० इंजीनियर सहित २०० अधिकारियों की भीड़ व्यवस्था संभालने में नाकाम

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करोड़ों खर्च..., फिर भी शहर को डूबो रहे अफसर

करोड़ों खर्च..., फिर भी शहर को डूबो रहे अफसर

इंदौर. नगर निगम में ११० इंजीनियर सहित करीब २०० अधिकारियों की भीड़ करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अलग हैं तो निगमायुक्त आइएएस हैं। बड़े प्रोजेक्ट में लाखों खर्च कर कंसलटेंट नियुक्त होते हैं, लेकिन फिर भी शहर जरा सी बारिश में डूब रहा है। अमृत व जेएनएनयूआरएम प्रोजेक्ट व नाला टेपिंग में एक मुश्त १५०० करोड़ खर्च किए जा चुके हैं तो स्टार्म वाटर लाइन पर हर साल १५ करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में नहीं है। बीआरटीएस पर करीब २८० करोड़ रुपए में स्टार्म वाटर लाइन डाली, लेकिन हर साल यहां पानी भर जाता है। अन्य मुख्य सड़कों के भी यही हाल हैं।

औसतन ७० हजार वेतन, गाड़ी-ड्राइवर अलग आइएएस व राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को छोड़ दें तो भी २०० अधिकारियों की टीम है। सीनियर इंजीनियर का वेतन करीब १ लाख १० हजार तो जूनियर का ८० हजार है। औसतन एक व्यक्ति का वेतन ७० हजार रुपए है, जिससे साफ है कि करीब डेढ़ करोड़ तो वेतन भुगतान होता है। इसके अलावा गाड़ी, ड्राइवर व अन्य स्टाफ अलग है। इतना बड़ा खर्च होने के बाद भी निगम का अमला शहर के डूबने जैसी िस्थति में सुधार नहीं कर पा रहा है।

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जिम्मेदार विभाग
जनकार्य: निगमायुक्त प्रतिभा पाल के नेतृत्व अपर आयुक्त अभय राजनगांंवकर के निर्देशन में कार्यपालन यंत्री अशोक राठौर, इंजीनियर दिलीप राठौर के साथ निगम की बड़ी टीम काम करती है। स्टार्म वाटर लाइन का काम जनकार्य के नेतृत्व में चल रहा है।
ड्रेनेज सेक्शन: अपर आयुक्त संदीप सोनी के नेतृत्व में जोनल अधिकारियों के साथ हर वार्ड में एक ड्रेनेज सुपरवाइजर व करीब २०० कर्मचारियों की अलग टीम काम करती है। स्वास्थ्य विभाग भी मदद करता है।
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अमृत-जेएनएनयूआरएम में एक हजार करोड़ खर्च: नई ड्रेनेज लाइन डालने के लिए अमृत योजना, जेएनएनयूआरएम में अलग-अलग करीब एक हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
नाला टेपिंग में ५०० करोड़ खर्च: नालों में गंदा पानी रोकने के लिए निगम ने नाला टेपिंग योजना का काम शुरू किया। इसमें ५०० करोड़ खर्च कर दिए, लेकिन नालों में हर जगह गंदा पानी व गाद नजर आती है।
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यहां हर बार भर जाता है बारिश का पानी
- बीआरटीएस पर एमआर-९ चौराहे के पास।
- स्मार्ट सिटी की पहली सड़क पर मालगंज चौराहे के पास।

- विजयनगर व सयाजी नगर चौराहे के पास।

- एमआर-११ पर राजीव आवास चौराहा।

- टापू नगर, खातीपुरा व शहर की अधिकांश बस्तियां।

- एरोड्रम रोड पर रामचंद्र नगर, विंध्याचल नगर जैसी पॉश कॉलोनियां।

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पानी भरता है, लेकिन जल्द निकल जाता है
ड्रेनेज लाइनों और नाला टेपिंग का काम पूरा हो गया है। नालों में गंदा पानी नहीं आ रहा है। तेज बारिश में सड़कों पर पानी भरता है। लाइनें दुरुस्त होने का ही असर है कि बारिश रूकते ही सड़कें खाली हो जाती हैं।
संदीप सोनी, अपर आयुक्त
और करेंगे सुधार स्टार्म वाटर लाइन डालने पर हर साल १२-१५ करोड़ खर्च कर रहे हैं। अब तक ३०० किलोमीटर लाइन डाल दी है। जहां परेशानी हो रही है, वहां नई लाइन डाल रहे हैं, जिससे आने वाले समय में सुधार होगा।

अभय राजनगांंवकर, अपर आयुक्त
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एक्सपर्ट कमेंट

सतही नालियां बनाकर उनके ढाल पर करना होगा काम
निगम ने नाला टेपिंग किया है, लेकिन जरूरत जमीन के अंदर पाइप डालने के बजाए सतही नालियों की है। सड़क किनारे सतही नालियां बनानी होंगी, जिनका ढलान उस इलाके के प्राकृतिक नाले की ओर होना चाहिए। पहले यह व्यवस्था थी। शहर के हर वार्ड में प्राकृतिक नाला है और दो नदियां सरस्वती व कान्हा हैं। सतही नालियों से बारिश का पानी नालों तक जाएगा और वहांं से नदियां तक, ऐसा हो तो कहीं परेशानी नहीं आएगी।
जगदीश डगांवकर, रिटायर्ड सिटी इंजीनियर