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रोज 126 कारें सड़क पर, इनके लिए सड़कें नहीं हैं हमारे पास

- चलने के लिए मात्र 350 किमी का नेटवर्क, चाहिए 535 किमी लंबी सड़कें- चार साल में कारों में 73 फीसदी का इजाफा, पूरे शहर में ट्रैफिक जाम

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इंदौर

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Sandeep Pare

Apr 13, 2023

रोज 126 कारें सड़क पर, इनके लिए सड़कें नहीं हैं हमारे पास

रोज 126 कारें सड़क पर, इनके लिए सड़कें नहीं हैं हमारे पास

इंदौर. इंदौर को ग्रीन, सोलर और डिजिटल सिटी बनाने की दिशा में कदम बढ़ रहे हैं। यह अच्छी प्रोग्रेस के संकेत हैं, लेकिन कारों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है, वह गो-ग्रीन की सोच पर बड़ा संकट है। कारों की संख्या बढ़ने से ट्रैफिक जाम हो रहा है। भविष्य में यह और बढ़ेगा। इससे गैसीय प्रदूषण होगा। शहर में रोजाना 126 नई कारें सड़कों पर उतर रही हैं। इंदौर में मुख्य सड़कों का मात्र 350 किमी का नेटवर्क है। चार साल में सड़क पर आई कारों की संख्या को लंबाई में देखें तो 535 किमी लंबी सड़क चाहिए।

विशेषज्ञों का कहना है, कारों की बढ़ती संख्या का ट्रेंड शहर की लाइफ गुणवत्ता के मानकों के लिए अच्छी बात है, लेकिन डीजल व सीएनजी से चलने वाली कारें शहर के पर्यावरणीय स्वच्छता को प्रभावित करेगी। इनसे वातावरण में खतरनाक पार्टिकल्स, कार्बन मोनो ऑक्साइड व कार्बन डाइ ऑक्साइड, ओजोन जैसी गैसेस का खतरा बढ़ रहा है।
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वर्षवार परिवहन विभाग में रजिस्टर्ड कारों की संख्या
2019-20 26621
2020-21 28998
2021-22 31885
2022-23 46081
(चार साल में 73 फीसदी का इजाफा)
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60 प्रतिशत फोर लेन
शहर में करीब 350 किमी की प्रमुख सड़कें हैं। इनमें 45 फीसदी की चौड़ाई 18 से 36 मीटर है। 60 फीसदी सड़कें टू से फोर लेन हैं, जबकि 40 फीसदी सिक्स लेन हैं। लेन सिस्टम कमजोर होने से सड़कों पर ट्रैफिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त रहती है। जब सघनता बढ़ेगी तो यह समस्या और ज्यादा होगी।
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इस तरह के दुष्प्रभाव
- गैसीय व ध्वनि प्रदूषण से होने वाली बीमारियां बढ़ रही हैं।
- तापमान में अिस्थरता से मौसम प्रभावित।
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एक्सपर्ट व्यू @ Indore डॉ. संदीप नारूलकर, ट्रैफिक विशेषज्ञ
कारों की संख्या के आगे शहर की संकरी और छोटी लंबाई की सड़कें भविष्य में बौनी साबित होंगी। सड़कों की दूरी के साथ चौड़ाई भी कम है। वाहनों की सघनता ज्यादा होने से ट्रैफिक की रफ्तार धीमी हो जाती है। इससे निकले वाली खतरनाक ग्रीन हाउस गैसेस से शहर में प्रदूषण स्तर गड़बड़ाएगा।

इसलिए बढ़ रही परेशानी
- अरबन मास ट्रांजिट द्वारा शहर में वाहनों की टि्रप व फ्युल उपयोग के आधार पर भी ट्रेंड का अध्ययन किया है। कुल रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या में 45.8 फीसदी वाहन डीजल से चलते है। 43.8 प्रतिशन पेट्रोल से चल रहे हैं। शेष सीएनजी व अन्य व्हीकल है। सीएनजी का प्रतिशत देंखे तो 1 से भी कम है।
- मुख्य सड़कों पर क्षमता से तीन गुना वाहनों दौड़ रहे हैं। अधिक इस्तेमाल से सड़के भी जल्द खराब हो रही है।
- कारों की सघनता बढ़ने का असर सड़कों पर जाम के रूप में सामने आ रहा है। क्षमता से अधिक वाहन होने के कारण 30 मिनिट के सफर में 33 फीसदी ज्यादा समय लग रहा है।