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लोकपाल के लिए शासन ने भेजे तीन नाम, एक को चुनेगी यूनिवर्सिटी

डीएवीवी के साथ बरकतउल्ला और विक्रम यूनिवर्सिटी के लिए भी बनी पैनल, 1 जुलाई से पहले होगी नियुक्ति  

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लोकपाल के लिए शासन ने भेजे तीन नाम, एक को चुनेगी यूनिवर्सिटी

इंदौर. कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं की समस्या के निराकरण के लिए लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। शुक्रवार को शासन ने तीन नामों की पैनल देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी को भिजवा दी है। इनमें से ही किसी एक को लोकपाल चुना जाएगा। पैनल मिलते ही कुलपति ने तीनों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया है। इसी महीने नाम तय कर शासन को भेजा जाना है। 1 जुलाई से पहले लोकपाल की नियुक्ति हो जाएगी।

लोकपाल बनने के लिए रिटाटर जज, रिटायर प्रोफेसर और रिटायर प्रिंसिपल की ही दावेदारी मान्य की गई। देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के लिए कई रिटायर प्रोफेसर व प्रिंसिपल ने भी आवेदन किए थे। लेकिन, जो पैनल चुनी गई उसमें सभी रिटायर जज है। विभावरी जोशी, नरेंद्र कुमार सत्संगी व उदय सिंह बहरावत तीनों जिला एवं सत्र न्यायाधीश रह चुके हैं। लोकपाल की नियुक्ति के लिए पिछले सत्र में ही कवायद शुरू हुई थी। लेकिन, यूनिवर्सिटी को कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले। बाद में उच्च शिक्षा विभाग ने ही 26 मई तक लोकपाल के लिए आवेदन बुलवाए। आवेदनों की स्क्रूटनी सर्च कमेटी ने की। कमेटी में रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र, महात्मा गांधी ग्रामोदय यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो.एनसी गौतम, सर्वपल्ली राधाकृष्णन प्राइवेट यूनिवर्सिटी के डॉ.एसएस कुशवाह व उच्च शिक्षा विभाग के सचिव संयोजक सदस्य की भूमिका में थे। बुधवार को सर्च कमेटी ने स्क्रूटनी के बाद इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी के साथ भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी व उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी के लिए तीन-तीन नाम चुनकर पैनल तैयार की। ये नाम उच्च शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी को भेजते हुए एक महीने के भीतर किसी एक की नियुक्ति के निर्देश दिए है। लोकपाल का कार्यकाल तीन वर्ष का रहेगा।

अनौपचारिक चर्चा के बुलाया

डीएवीवी के कुलपति प्रो.नरेंद्र का कहना है कि लोकपाल के लिए शासन से तीन नाम मिल चुके है। तीनों से हमने संपर्क कर लिया। उन्हें अनौपचारिक चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया है। कोशिश करेंगे कि जल्द ही लोकपाल की नियुक्ति कर दी जाएं।