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अभिषेक वर्मा@ इंदौर. प्राइवेट कॉलेजों के रेगुलर कोर्सेस की मनमानी फीस पर सरकार शिकंजा कसने जा रही है। कॉलेजों के पास मर्जी से फीस तय करने या बढ़ाने का अधिकार नहीं रहेगा। अगले सत्र से ही यूनिवर्सिटी संबद्धता के साथ फीस भी निर्धारित कर देगी। नैक की ग्रेडिंग और कॉलेजों की सुविधाओं के आधार पर फीस तय की जाएगी।
बीई, एमबीए, एमसीए सहित तमाम प्रोफेशनल कोर्सेस की फीस एएफआरसी (एडमिशन एंड फीस रेगुलेटरी कमेटी) निर्धारित करती है। हाल में बीएड व एमएड कोर्सेस की फीस भी कमेटी ने तय कर दी। निर्धारित से ज्यादा फीस वसूलने वाले कॉलेजों पर कार्रवाई का प्रावधान है, पर रेगुलर कोर्सेस की फीस पर अब तक कोई नियंत्रण नहीं है। इसके लिए सरकार ने बड़ा कदम बढ़ाया है। अगले सप्ताह में ही कुलपतियों की बैठक में फीस निर्धारण पर चर्चा होगी। सूत्रों के अनुसार कॉलेजों की फीस निर्धारित करने का अधिकार यूनिवर्सिटी के पास ही रहेगा। बताया जा रहा है कि रेगुलर कोर्सेस की फीस के लिए भी इंजीनियरिंग कॉलेज का फॉर्मूला लागू किया जा सकता है। इसमें कॉलेजों को इंफ्रास्ट्रक्चर, प्लेसमेंट, फैकल्टी, लेबोरेटरी, लाइब्रेरी आदि के आधार पर अलग-अलग श्रेणी में बांटा गया था। कमेटी ने बीई के लिए न्यूनतम ३५ से करीब ७५ हजार सालाना फीस तय की है।
दस गुना का अंतर
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी से ही संबद्ध प्राइवेट कॉलेजों में एक कोर्स की ही फीस में कई गुना तक अंतर है। तीन वर्षीय बीकॉम के लिए १२ हजार से लेकर एक लाख रुपए तक चुकाना पड़ रहे हैं, जबकि बीएससी के लिए २१ हजार से डेढ़ लाख रुपए तक फीस वसूली जा रही है। ज्यादा फीस वसूलने वाले कॉलेज बेहतर सुविधाओं का हवाला देते हैं। हालांकि, ९० फीसदी से ज्यादा कॉलेज में कोड-२८ के तहत पर्याप्त फैकल्टी ही नहीं है। एडमिशन के समय डिमांड बढऩे पर कॉलेज अपनी मर्जी से फीस में बढ़ोतरी कर लेते हैं। फीस पर न तो सरकार और न ही यूनिवर्सिटी का नियंत्रण है। फीस निर्धारित करने वाली यूनिवर्सिटी ज्यादा राशि वसूलने वाले कॉलेजों पर कार्रवाई का भी अधिकार रखेगी।
हर साल देना होगा खर्च का हिसाब
जिन कॉलेजों की फीस यूनिवर्सिटी निर्धारित करेगी, उन्हें हर साल अपने खर्च का हिसाब देना होगा। दरअसल, दो से तीन साल के बाद हर कोर्स की फीस रिवाइज होना है। फीस बढ़ाने के लिए कॉलेज यूनिवर्सिटी को आवेदन करेंगे। यूनिवर्सिटी सालभर के आय-व्यय के रिकॉर्ड पर ही फीस बढ़ोतरी पर विचार करेगी। जिन कॉलेजों में फीस और ग्रांट से ज्यादा खर्च हो रहा है, उनके कुछ कोर्स बंद भी कराए जा सकते हैं।
समन्वय समिति में हुई चर्चा के बाद निजी कॉलेजों की फीस निर्धारण के लिए कमेटी बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जल्द ही प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
-अजय वर्मा, रजिस्ट्रार, देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी
Updated on:
21 Dec 2017 10:18 am
Published on:
21 Dec 2017 09:24 am
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