
कॉलेजों में नहीं थम रही सीनियरों की दादागिरी, सख्ती के बावजूद दोगुनी हुई रैगिंग
अभिषेक वर्मा @ इंदौर. रैगिंग रोकने के लिए यूजीसी के कड़े नियम और यूनिवर्सिटी-कॉलेज की सख्ती बेअसर रही है। बीते वर्षों की तुलना में इस साल इंदौर शहर से सबसे ज्यादा रैगिंग की शिकायतें यूजीसी पहुंचीं। 2017 में सिर्फ 5 शिकायतें एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर दर्ज हुई थीं। जनवरी से अब तक 10 शिकायतें हो चुकी हैं। पूरे प्रदेश में भी रैगिंग की शिकायतें बढ़ी हैं। इस साल तो आंकड़ा दोगुना हो गया है। हालांकि, ज्यादातर मामले आपसी समझौते से रफा-दफा हो गए। कुछ में पीडि़त ने शिकायत वापस ले ली।
कॉलेज-यूनिवर्सिटी में रैगिंग रोकने के लिए यूजीसी ने सख्त गाइडलाइन बनाई है। एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर टोल फ्री नंबर से सीधे शिकायत करने की सुविधा है। इसमें पीडि़त की पहचान कॉलेज को भी नहीं बताई जाती। शिकायत पर कॉलेज की एंटी-रैगिंग कमेटी को जांच पूरी कर यूजीसी को ही रिपोर्ट सौंपना होती है। हर कॉलेज-यूनिवर्सिटी में इसके लिए जीरो टॉलरेंस पॉलिसी लागू की गई फिर भी रैगिंग मामले में मध्यप्रदेश इस बार भी तीसरे नंबर पर है। जनवरी 2009 से अब तक सबसे ज्यादा 1007 शिकायतें उत्तरप्रदेश और 672 प. बंगाल से पहुंचीं। मध्यप्रदेश से 600 शिकायतें हुईं।
इस साल प्रदेश से 101 शिकायतें यूजीसी की एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन तक पहुंची हैं। इंदौर शहर के एसडी बंसल कॉलेज, पीएमबी गुजराती कॉलेज, आइइटी (डीएवीवी), एग्रीकल्चर कॉलेज, प्रेस्टीज इंस्टिट्यूट, वैष्णव विद्यापीठ, अरबिंदो फॉर्मेसी कॉलेज, यूनिवर्सिटी होस्टल में रैगिंग होने की शिकायतें हेल्पलाइन पर दर्ज हुई हैं।
कमेटी नहीं दिखाती गंभीरता: रैगिंग के ज्यादातर मामलों में एंटी-रैगिंग कमेटी गंभीरता नहीं दिखाती। पीडि़त की पहचान होने पर समझौते की समझाइश देने का प्रयास रहता है। आइइटी में हुई रैगिंग की एक ऐसी ही घटना में पहले कमेटी ने रैगिंग नहीं होने की रिपोर्ट यूजीसी को भेज दी। यूजीसी ने सख्ती कर जांच के निर्देश दिए तो पाया सालभर से होस्टल में रहने वाले जूनियरों को प्रताडि़त किया जा रहा था। इसके बाद पहले कमेटी ने ही सीनियरों की पहचान कर होस्टल से निकाला।
968 शिकायतें, 474 को सजा
यूजीसी के आंकड़ों के अनुसार जनवरी 2018 से अब तक इंदौर से 101, जबकि देशभर से 968 शिकायतें दर्ज कराई गईं। कॉलेज और यूनिवर्सिटी की एंटी-रैगिंग कमेटी की जांच के बाद 474 को रैगिंग में सजा हुई। हालांकि इनमें 226 को चेतावनी देकर छोड़ा गया। 229 को सस्पेंड, 14 पर जुर्माना और 5 को संस्थान से निकाला गया।
गाइडलाइन का पालन जरूरी
रैगिंग रोकने के लिए यूजीसी की गाइडलाइन का शत प्रतिशत पालन जरूरी है। एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर प्रतिवर्ष जनवरी से दिसंबर तक का रिकॉर्ड रहता है।
प्रो. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष, डीएवीवी
प्रदेश में किस साल कितनी शिकायत
2009 - 40
2010 - 33
2011 - 37
2012 - 32
2013 - 80
2014 - 74
2015 - 48
2016 - 55
2017 -100
2018 - 101
Published on:
08 Dec 2018 09:19 am
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