16 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

डीपीएस की छात्रा, जिसे अब दवा नहीं दुआ की जरूरत

एक्सीडेंट में चार बच्चों की हुई थी मौत, आखिर क्यों है साढ़े तीन महीने बाद भी हंसती-खेलती ‘खुशी’ का इंतजार

2 min read
Google source verification

इंदौर

image

Amit Mandloi

Apr 20, 2018

DPS BUS ACCIDENT INDORE

न माथे की सूजन उतरी न सहेलियों को पहचान पा रही
डीपीएस बस हादसे में घायल हुई थी मासूम...
इंदौर. 5 जनवरी का भयावह डीपीएस हादसा खातीवाला टैंक के बजाज परिवार के लिए दु:खद यादों में तब्दील हो गया है। सुबह मासूम बेटी खुशी सभी से मिलकर स्कूल गई थी, लेकिन बस हादसे ने उसे अस्पताल पहुंचा दिया। साढ़े तीन महीने बाद भी उसकी स्थिति 15-20 प्रतिशत से ज्यादा सुधार नहीं है। मम्मी-पापा व रिश्तेदारों को अपनी हंसती-खेलती खुशी का इंतजार है।

अस्पताल में रहने के बाद डीपीएस में कक्षा दूसरी की छात्रा खुशी बजाज घर तो पहुंची, लेकिन माता-पिता उसकी हंसी सुनने को तरस रहे हैं। हादसे में खुशी के सिर में गहरी चोट आई है। वह ज्यादा समय बिस्तर पर रहती है। मां स्वाति की दुनिया तो मासूम के कमरे में ही सिमटकर रह गई है। घर के सारे काम केयर टेकर करती है। पिता मनोज बजाज के मुताबिक, अस्पताल से आने के बाद कई दिनों तक खुशी ने किसी को पहचाना नहीं। नाजों से पली सबकी लाड़ली अपनों के बीच अनजान नजर आती थी। बेटी को इस स्थिति में देखना माता-पिता के लिए सबसे बड़ा गम था। अब करीब 15-20 प्रतिशत स्थिति सुधरी है। इशारों में बताओ कि यह मम्मी है तो वह टूटी-फूटी भाषा में मम्मी व पापा कहती है। बहन भूमि को भी कुछ पहचानने लगी है। जिन सहेलियों के साथ वह हंसती-खेलती थी अभी उन्हें ढंग से पहचान नहीं पा रही है। डॉक्टर कहते हैं, खुशी के पूरी तरह ठीक के लिए दवा से ज्यादा दुआ की जरूरत है। शहर के लोगों से उन्होंंने खुशी के लिए दुआ करने का आग्रह किया है।

हॉस्पिटल में रखी है माथे की हड्डी, सूजन उतरने पर करेंगे ऑपरेशन
सिर में गंभीर चोट से खुशी की हालत ज्यादा खराब हुई। उसके माथे की हड्डी निकालकर बॉम्बे हॉस्पिटल में सुरक्षित रखी है। माथे पर सूजन नहीं उतर पाई है। पिता के मुताबिक, जब तक माथे की सूजन नहीं उतरती हड्डी लगाने के लिए ऑपरेशन नहीं हो सकता। तब तक खुशी के ठीक होने के लिए इंतजार करना होगा।

गाड़ी पुरानी नहीं होती तो हादसा न होता

चार बच्चों की मौत और दूसरे के गंभीर घायल होने की घटना के लिए मेरी नजर में स्कूल प्रबंधन ही पूरी तरह दोषी है। स्कूल ने जब गाड़ी अनुबंध के लिए सूचना जारी की तो उसमें लिखा था कि नई बस चाहिए, लेकिन बाद में पुरानी ले ली। खुशी की बस नई होती तो यह हादसा नहीं होता। पुरानी बस के कारण ही यह हादसा हुआ। पुलिस जांच से भी सभी को निराशा ही मिली है। पुलिस ने भी स्कूल प्रबंधन के बजाय दुर्घटना में मृत ड्राइवर को ही आरोपित बना दिया। मुख्यमंत्री ने हमें आश्वासन दिया है, उनकी बात से ही कुछ उम्मीद बन रही है।

मनोज बजाज (खुशी के पिता)
आज चालान पेश करने की तैयारी

हादसे में पुलिस शुक्रवार को चालान पेश करने की तैयारी कर रही है। पुलिस ने पहले मृत बस ड्राइवर को गैरइरादतन हत्या का आरोपित बनाया था। बाद में स्पीड गवर्नर की गड़बड़ी को लेकर स्कूल के ट्रांसपोर्ट मैनेजर, सुविधा ऑटो गैस के संचालक व कर्मचारी को आरोपित बनाया। पालकों के दबाव में बाद में प्राचार्य सुदर्शन सोनार को गाइड लाइन नहीं मानने पर गिरफ्तार किया था। स्कूल प्रबंधन की लापरवाही के एक तरह से पुलिस ने खारिज कर दिया है। डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र ने माना, जांच में अन्य किसी के आरोपित बनने के साक्ष्य नहीं मिले हैं। जो गिरफ्तार हुए उन्हीं के खिलाफ चालान पेश होगा।