
इंदौर. एमवाय अस्पताल में पीजी स्टूडेंट द्वारा मशीन खराब होने पर मरीज को बाहर से जांच लिखने पर कमिश्नर संजय दुबे द्वारा निलंबित करने के बाद जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने अस्पताल में विभिन्न जांचों को लेकर बरती जा रही लापरवाही और अनदेखी की पोल खोली है। साथ ही सवाल उठाया है कि क्या मरीज को अस्पताल में जांच उपलब्ध नहीं होने पर बिना इलाज के मरने के लिए छोड़ देना सही होगा।
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री, एमजीएम डीन, कमिश्नर और अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिख जांच व्यवस्था को लेकर उचित कदम उठाने की मांग की है। पत्र में कहा गया है कि लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट ऑटो एनालाइजर खराब होने से इनडोर में उपलब्ध नहीं हैं। एचओडी ने इस संबंध में अधीक्षक को ६ अक्टूबर को पत्र लिखा था। शनिवार को इस संबंध में बाहर जांच लिखने पर डॉक्टर को निलंबित किया गया, जबकि अधीक्षक ने ओपीडी से जांच कराने के निर्देश नहीं दिए थे। साथ ही डायलिसिस और इमरजेंसी ऑपरेटिव मरीजों के लिए एचआईवी, एंटी एचसीवी टेस्ट आईसीटीसी सेंटर में सप्ताह में एक बार जांच होती है, जिसे रोजाना उपलब्ध कराया जाए। सोडियम व पोटेशियम की जांच एमवायएच की लैब में विश्वसनीय नहीं है। एक मरीज ने यहां दो बार जांच कराई तो रिपोर्ट अलग आई। निजी लैब में भी जांच में अंतर निकला। यह तीनों रिपोर्ट भी पत्र के साथ संलग्न की हैं।
कई जांच गरीबी रेखा से नीचे के मरीजों के अलावा आम मरीजों को निजी लैब में सस्ती पड़ती हैं। स्टूल, यूरिन और माइक्रोबायलॉजी केवल ओपीडी के वक्त होते हैं। ब्लड व यूरिन कल्चर की रिपोर्ट शाम ६ बजे तक ही होती है। रिपोर्ट आने में भी वक्त लगता है, जबकि मरीजों को तुरंत एंटीबायोटिक देने की जरूरत होती है। ट्रॉप-१, एफडीपी, डी डिमर, सीए-१२५, एफपी, पीएसए सहित कई जांच एमवायएच में उपलब्ध नहीं है।
सीधी बात....
डॉ. वीएस पाल, अधीक्षक एमवायएच
सवाल: अस्पताल में बाहर की जांच पर रोक लगाने के बाद जो जांच अस्पताल में नहीं हो रही उसका क्या?
जवाब: डीन डॉ. शरद थोरा ने सोमवार को इस संबंध में सभी विभाग प्रमुखों की बैठक ली है। सभी को बाहर की जांच नहीं लिखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जो सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, उनकी सूची मांगी गई है। पैथोलॉजी या माइक्रोबायलॉजी लैब में समय व स्टाफ बढ़ाकर सभी जांच समय पर उपलब्ध कराने के प्रयास करेंगें।
सवाल: निजी लैब के मुकाबले शुल्क ज्यादा क्यों लिया जा रहा है?
जवाब: इन्वेस्टिगेशन के रेट कॉलेज की ईसी बैठक में तय होते हैं। हमें स्टूडेंट्स की टीचिंग और लर्निंग के लिए भी खर्च करना होता है, इसलिए रेट में अंतर है।
सवाल: जांच के बिना डॉक्टर कैसे मरीजों का इलाज कर पाएंगें?
जवाब: ऐसी स्थिति होने पर एचओडी से संपर्क कर राय लें, अपनी इच्छा से निजी लैब में जांच कराना गलत है।
प्रबंधन पहले व्यवस्था पुख्ता करें
गंभीर मरीजों का तुरंत डायग्नोस होने के बाद ही इलाज शुरू कर सकते हैं। कई जांच उपलब्ध नहीं है, कई मामलों में विश्वसनीयता नहीं रहती। बाहर जांच नहीं लिखने के आदेश पर मरीजों का इलाज कैसे हो पाएगा। अस्पताल प्रबंधन को पहले सारी सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहिए।
डॉ. अविनाश पटवारी, प्रवक्ता जूडा
Published on:
17 Oct 2017 05:32 pm
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