
खुद को जानने, सुधारने और क्षमता का एहसास करने के लिए निकालें समय
इंदौर. जीवन में चार पहलू काफी अहम होते हैं। आइडियल सेल्फ (हम जैसा बनने की इच्छा रखते हैं)। रियल सेल्फ (जो हम वास्तव में हैं)। प्रोजेक्टेड सेल्फ (जो हम दुनिया के सामने बनते हैं) और लास्ट में अपनाया हुआ व्यवहार। एक व्यक्ति को सफल होने के लिए इन चार आयामों के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। जागरूक होना नितांत जरूरी है। यह बात एचपीसीएल कंपनी के एचआर डायरेक्टर पुष्पकुमार जोशी ने कही। वे आईआईएम में एग्जीक्यूटिव ऑफिसर्स के लिए जनरल मैनेजमेंट प्रोग्राम फॉर एग्जीक्यूटिव (जीएमपीई) बैच 3 के विदाई समारोह में बतौर अतिथि बोल रहे थे। प्रोग्राम के ३७ पार्टिसिपेंट्स को बधाई देते हुए कहा कि हमेशा कड़ी मेहनत पर ध्यान केंद्रित करें।
जीवन के तीन चरणों के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि जब हम एक बच्चे थे, तो हमारे जीवन का पहला चरण माता-पिता, शिक्षकों आदि द्वारा नियंत्रित किया गया था, लेकिन वर्तमान चरण वह चरण है, जो हमें जीवन में हमारे तीसरे चरण को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है- जब हम रिटायर हो जाएंगे। अब हम जीवन में सही समय और क्षण पर हैं और अगर हम इसमें अच्छे तरीके से निवेश करते हैं, तो हमारा भविष्य बेहतर होगा। उन्होंने पार्टिसिपेंट्स को जीवन में एक उद्देश्य खोजने की सलाह देते हुए कहा कि हमारे दैनिक कार्यों में समय बर्बाद करने के लिए कुछ समय खोजें। ऐसा समय खोजें, जब आप कुछ नहीं कर रहे हैं और सिर्फ आप ही हैं। उन्होंने कहा कि इससे आपको एक व्यक्ति के रूप में खुद को जानने, सुधारने और अपनी क्षमता का एहसास करने में मदद मिलेगी।
जितना सीखते हैं, उतना पता चलता है कि आप अज्ञानी हैं- प्रो. राय
आईआईएम डायरेक्टर प्रोफेसर हिमांशु राय ने कहा कि शिक्षा अपनी अज्ञानता का प्रगतिशील बोध है। जितना अधिक आप सीखते हैं, उतना ही आप इस बात से अवगत होते हैं कि आप कितने अज्ञानी हैं। तब आपको पता चलता है कि सीखने के लिए बहुत कुछ है। हर व्यक्ति के जीवन में कुछ आशंकाएं होती हैं।
धन का भय- बहुत से लोग अपनी खुद की कीमत को उस धन की राशि के साथ जोड़ते हैं, जो उनके पास होती है।
विफलता का डर- कई लोग हमेशा नई चीजों की कोशिश करने से डरते हैं, क्योंकि वे विफल हो सकते हैं।
सफलता का डर- कोई भी व्यक्ति जो कोई काम बेहद निपुणता से करता है, उसे हमेशा ही निपुणता से करने का डर, वह अगली बार सबसे अच्छा दोहराने में सक्षम नहीं होगा, इसका डर।
विचार प्रक्रिया का विस्तार करने से रोकता है समान सोच
नए रिश्तों का डर- लोग केवल उसी के साथ रहना पसंद करते हैं, जो समान सोच रखते हैं। यह उन्हें अपनी विचार प्रक्रिया का विस्तार करने और नए दृष्टिकोण को सीखने से रोकता है क्योंकि वे किसी भिन्न विचार वाले व्यक्ति से कुछ सीख ही नहीं पा रहे। आखिर में एक शिथिलतावादी होने के नाते हमेशा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कदम उठाने में देरी। बहुत से लोग मुश्किल के जगह आसान रास्ता चुनते हैं, लेकिन एक अच्छा लीडर वह होता है, जो न केवल सही तरीके से चुनाव करता है, चाहे वह आसान हो या मुश्किल हो, लेकिन बुद्धिमानी का रास्ता भी चुनता है।
इन्होंने किया संबोधित
प्रोफेसर जयसिम्हा केआर ने कहा कि हम हमेशा प्रासंगिक सामग्री की तलाश करते हैं, जो पार्टिसिपेंट्स को उनके व्यवसायों में मदद करेगा। जीएमपीई के समन्वयक प्रोफेसर देबाशीष मैत्रा ने आभार जताया।
Published on:
27 Feb 2019 12:05 pm
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