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निगम को फर्जी बैंक गारंटी देने वाली कम्पनी ने अब सौंपे चेक,8 करोड़ का होगा भुगतान

पीएम आवास योजना सतपुडा परिसर

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इंदौर. पीएम आवास योजना के सतपुड़ा परिसर का अधूरा काम छोड़कर फर्जी बैंक गारंटी देने वाली गुजरात की कंपनी निगम को चेक से भुगतान करेगी। सूत्रों के अनुसार, अलग-अलग दिनांक के 8 करोड़ से अधिक के चेक नगर निगम को सौंप भी दिए हैं। कंपनी के अफसरों ने दलील दी है कि वह खुद आइसीआइसीआइ बैंक के फर्जीवाड़े के शिकार हुए हैं और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।

173 करोड़ में कंपनी ने लिया था ठेका

बड़ा बांगड़दा में पीएम आवास योजना का सतपुड़ा परिसर प्रोजेक्ट का निर्माण किया जा रहा था। नगर निगम ने इसका ठेका गुजरात (राजकोट) की कंपनी कुणाल स्ट्रक्चर (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड को करीब 173 करोड़ रुपए में दिया था। इमारत के निर्माण का काम पिछले एक साल से बंद है। निगम ने कई बार काम शुरू करने का नोटिस जारी किया, लेकिन एजेंसी ने लिखित में जवाब दिया कि वह दिवालिया घोषित हो चुकी है, लिहाजा बचा काम नहीं कर सकती है। इसके बाद निगम ने कंपनी को टर्मिनेट कर दिया और जमा राशि को राजसात करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।

उच्च स्तरीय जांच की हुई थी मांग

कंपनी की बैंक गारंटी की जब यह राशि निगम खाते में ट्रांसफर करने की प्रक्रिया की तो पता चला कि यह बैंक गारंटी फर्जी है। आइसीआइसीआइ की ठाणे ब्रांच ने अधिकृत रूप से मेल कर इसकी पुष्टि की। इसके बाद निगम अधिकारियों ने जांच के लिए कोतवाली थाना पुलिस को पत्र लिखकर केस दर्ज करने के लिए कहा। कोतवाली थाना पुलिस ने जांच शुरू कर दी। बैंक गारंटी फर्जी होने का खुलासा होने पर पीएम आवास योजना और निगम अफसरों पर गंभीर आरोप लग रहे थे। आरोप थे कि लेनदेन कर सिक्युरिटी डिपोजिट को रिलीज किया गया और बैंक गारंटी सबमिट की। निगम अफसर ने इसकी पुष्टि भी नहीं की कि यह फर्जी है या असली? इसको लेकर एमआइसी सदस्य ने उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग भी की थी।

कारनामा उजागर होते ही अब चेक से भुगतान का वादा

कंपनी का कारनामा उजागर होते ही पुलिस ने जांच शुरू की तो कंपनी के जिम्मेदार बैकफुट पर आ गए। कंपनी के कुछ जिम्मेदारों ने हाल ही में नगर निगम अफसरों से मुलाकात की और खुद को इससे अनजान बताया। बैंक गारंटी के बदले कंपनी ने भुगतान करने के बात स्वीकार की है।इसके बदले में अलग-अलग तारीख के 8 करोड़ के भुगतान के चेक नगर निगम अफसरों को दिए हैं।इस दौरान कंपनी ने शुरुआती पूछताछ में निगम अधिकारियों को बताया, उन्हें बैंक गारंटी फर्जी होने की कोई जानकारी नहीं थी।आइसीआइसीआइ बैंक की ब्रांच से उन्होंने हासिल की थी। इसमें बैंक के किसी कर्मचारी या किसी अन्य थर्ड पार्टी एजेंसी की मिलीभगत हो सकती है।

पूर्व में भी पीएम आवास योजना प्रोजेक्ट रहा विवादों में

बहरहाल पीएम आवास में गडबडी का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई गम्भीर आरोप लगे है।यहां पूर्व में मार्केटिंग का काम कर रही एजेंसी ने तय रेट से अधिक रेट की वसूली की थी, इस मामले में शिकायत के बाद कोतवाली थाना पुलिस ने केस भी दर्ज किया था,लेकिन लम्बा समय बीत जाने के बाद इसमें जांच आगे नहीं बड सकी। वही अब दुसरा एक और मामला थाने पहुक गया है। हालांकि निगम अधिकारी कम्पनी से चेक मिलने पर इस बात से खुश है कि उनके भुगतान के रास्ते में खुल गए है। लेकिन पीएम आवास योजना के सतपुडा परिसर प्रोजेक्ट का अब खर्चा और अधिक बढ़ गया है।क्यूंकि पहले की दरों में जो टेंडर हुआ था उसका काम नहीं हुआ और लम्बे समय से काम बंद है।