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अनगनित मुश्किलों को चित कर अब ब्राजील में कुश्ती (wrestling) लड़ेंगे इंदौर (Indore) के राज वर्मा

मूक-बधिर (deaf mute) पहलवान राज वर्मा का डीफालिंपिक्स (daflympics) में चयन  

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अनगनित मुश्किलों को चित कर अब ब्राजील में कुश्ती (wrestling) लड़ेंगे इंदौर (Indore) के राज वर्मा

अनगनित मुश्किलों को चित कर अब ब्राजील में कुश्ती (wrestling) लड़ेंगे इंदौर (Indore) के राज वर्मा

जीवन से हार मानने वाले पढ़ें राज का संघर्ष

- माता-पिता नहीं हैं।
- सब्जी का ठेला लगाकर करते हैं जीवन-यापन।

- इस समय आजीविका का भी संकट है।
फिर भी कहते हैं

तमाम दिक्कतों के बावजूद माता-पिता का सपना पूरा करूंगा। खुशी है कि मैं देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। पूरा विश्वास है कि देश के लिए मेडल लेकर आऊंगा।
- राज वर्मा (जैसा उन्होंने पत्रिका को लिखा)

इंदौर के 24 वर्षीय राज वर्मा का चयन ब्राजील में होने वाले डीफालिंपिक्स (मूक-बधिरों के लिए आयोजित ओलिंपिक) में हुआ है। मूक-बधिर श्रेणी में उनका चयन कुश्ती के लिए हुआ है। जीवन के हर मोड़ पर दुश्वारियों के बावजूद राज युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्हें यकीन है कि ब्राजील में मेडल उनके नाम होगा, क्योंकि यही उनके माता-पिता का सपना था। मालूम हो, राज के माता-पिता अब इस संसार में नहीं हैं।
राज मई में ब्राजील में कुश्ती लड़ेंगे। वे कुश्ती में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीत चुके हैं।
ब्राजील में आयोजित ओलिपिंक में राज 55 किलोग्राम स्पर्धा में भाग लेंगे। इसके लिए वे 5 अप्रेल को दिल्ली रवाना होंगे। वहां एक महीने तक अन्य पहलवानों के साथ उन्हें स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद ब्राजील जाएंगे।
मालवा मिल की बस्ती से ब्राजील तक का सफर
राज बोल-सुन नहीं सकते हैं। हम मालवा मिल की छोटी सी बस्ती शिवाजी नगर में रहते हैं और राज सब्जी का ठेला लगाकर जीवन-यापन करते हैं। वह स्नातक प्रथम वर्ष की पढ़ाई भी कर रहे हैं। इसके साथ ही वे कुश्ती के लिए भी समय निकालते हैं। एक और छोटा भाई अमन भी मूक-बधिर है। पहले मां संगीता व पिता कमल वर्मा सब्जी का ठेला लगाते थे, लेकिन 2016 में मां और 2020 में पिता का निधन हो गया। इसके बाद राज ने ही सब्जी का धंधा संभाला। (राज के बड़े भाई ऋषभ की जुबानी)
ताऊ को देख लगा कुश्ती का शौक
ऋषभ ने बताया कि नगर निगम द्वारा मालवा मिल सब्जी मंडी हटाने के बाद आजीविका का संकट पैदा हो गया है। राज को 12 साल की उम्र में हॉकी का शौक था, लेकिन ताऊ बंडू पहलवान कुश्ती चैंपियन थे। इसके चलते राज कुश्ती करने लगा। मां और पिता का सपना था कि राज कुश्ती में ही देश का प्रतिनिधित्व करें।