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देश में पहली बार दशहरे पर रावण की जगह होगा शूर्पणखा दहन, हैरान कर देगी वजह

संस्था के अनुसार, हमारे अभियान में देश की उन संस्कारवान महिलाओं की बात नहीं की जा रही जो सत्य पर रहते हुए अपने पारिवारिक हितों की लड़ाई लड़ रही हैं। हमारे अभियान का हिस्सा सिर्फ और सिर्फ कलयुग की वो मॉडर्न शुपर्णखाएं हैं जो...।

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shuparnakha dahan in indore

देश में पहली बार दशहरे पर रावण की जगह होगा शूर्पणखा दहन, हैरान कर देगी वजह

देशभर में कई कार्यों को अग्रिम करके इतिहास बनाने वाला मध्य प्रदेश का आर्थिक शहर इंदौर इस बार दशहरे के मौके पर भी एक अनोखा कार्य करने जा रहा है। बता दें कि भारत में ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब विजयदशमी यानी आज रावण दहन के बजाए शुपर्णखा दहन का अनोखा आयोजन होने जा रहा है। आपको बता दें कि, ये अनोखा आयोजन इंदौर की एक निजी संस्था जो पुरुषों के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करती है उसके द्वारा कराया जा रहा है। संस्था द्वारा दहन किए जाने वाले महिला रूपी दस सिरों वाले पुतले पर मॉडर्न कलयुगी शूर्पणखाएं लिखा एक बोर्ड लगाया गया है।

देश में पहली बार होने जा रहे इस अनोखे दहन को करने वाली संस्था पौरुष के अध्यक्ष अशोक दशोरा ने पत्रिका से बातचीत के दौरान बताया कि जिस तरह त्रेता युग में राक्षस कुल की शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को अपनी अनैतिकता छिपाते हुए छल में फंसाकर झूठ बोला था कि मैं तो सिर्फ विश्व सुंदरी सीता को देखने वन में गई थीं, लेकिन दशरथ पुत्र राम के भाई लक्ष्मण ने मेरे नाक और कान काट दिए, लिहाजा मेरे अपमान का बदला लें।

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संस्कारवान नहीं, संस्कारहीन महिलाओं के खिलाफ है अभियान

अशोक दशोरा ने ये स्पष्ट करते हुए कहा कि हम अपने अभियान में देश की उन संस्कारवान महिलाओं की बात नहीं कर रहे जो सत्य पर रहते हुए अपने पारिवारिक मामलों की लड़ाई लड़ रही हैं। हमारे अभियान का हिस्सा सिर्फ और सिर्फ कलयुग की वो मॉडर्न शुपर्णखाएं हैं जो अपने व्यभिचार को छिपाकर अपने भाई और पिता को पति या उसके परिवार पक्ष पर दहेज या अन्य झूठा लांछन लगाकर कहानी बनाते हुए अपने घर वालों को अपने पति या ससुराल पक्ष के खिलाफ बरगलाती हैं और परिणाम स्वरूप उनपर दहेज, 498ए, घरेलू हिंसा, बलात्कार, छेड़छाड़, भरण पोषण, क्रूरता, इत्यादि जैसे झूठे केस लगवा देती हैं।


हर साल औसतन डेढ़ लाख पुरुष कर लेते हैं आत्महत्या

उन्होंने ये भी बताया कि इन्हीं मॉडर्न शुपर्णखाओं के झूठे आरोपों से त्रस्त आकर हर साल देशभर में औसतन डेढ़ लाख पुरुष आत्महत्या तक कर लेते हैं। इसी प्रताड़ना, पीड़ा, अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हमने इस साल पहली बार एक जागरुकता के संदेश के तहत शूर्पणखा दहन की मुहिम की शुरुआत की है। अशोक दशोरा ने ये भी कहा कि आगामी सालों में हम अपनी इसी मुहिम के तहत लोगों में पुरुष प्रताड़ना के मामलों के प्रति जागरुकता लाने का कार्य भी करेंगे।