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नंबर वन शहर में अपना औषधि केंद्र तक नहीं चला पाया वन विभाग

- संचालक ने लिखा समय पर औषधी नहीं मिली, घाटे से हो गया हूं परेशान

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नंबर वन शहर में अपना औषधि केंद्र तक नहीं चला पाया वन विभाग

नंबर वन शहर में अपना औषधि केंद्र तक नहीं चला पाया वन विभाग

अभिषेक वर्मा, इंदौर
आयुर्वेदिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए नवलखा में चल रहा वन विभाग का संजीवनी औषधि केंद्र आखिरकार बंद हो गया है। इसे संचालित करने वाले ने तालाबंदी की वजह समय पर औषधियां नहीं मिलना और बिक्री घटने से होने वाला घाटा बताया है।
औषधियों के बिक्री और मार्केटिंग के लिए वन विभाग ने नवलखा स्थित केंद्र सितंबर २०१९ में करीब ३२ हजार रुपए माह की लीज पर दिया था। इसका उद्देश्य आयुर्वेदिक औषधियों की उपलब्धता सुलभ कराना था। लेकिन, शुरुआत से ही यहां च्यवनप्राश और शहद छोडक़र सामान्य औषधियों तक की सप्लाय तक ठीक से नहीं हो सकी। पिछले महीने वनमंत्री विजय शाह के इंदौर दौरे के दौरान भी उनके सामने इस केंद्र पर औषधियों का मुद्दा उठा था। इस पर शाह ने आला अधिकारियों को तत्काल इसके निदान के निर्देश दिए गए। मगर, हालात जस के तस रहे। डीएफओ नरेंद्र पंडवा का कहना है कि संजीवनी औषधि केंद्र बंद करने के लिए पत्र लिखा है। कोविड काल में सभी को परेशानी हुई है। ये केंद्र जल्द दोबारा शुरू कराया जाएगा।
विंध्य हर्बल के उत्पादों की भी कमी
औषधि केंद्र पर मुख्यतौर पर विंध्य हर्बल के उत्पादों की बिक्री की जाना थी। ये उत्पाद भी कभी समय पर नहीं मिल सके है। संचालक डॉ.मनीष मुकाती ने वनमंडलाधिकारी को भेजे पत्र में लिखा कि हर्बल प्रोडक्ट समय पर नहीं मिलने के कारण भी मुझे काफी नुकसान उठाना पड़ा है। मैंने इनकी डिलिवरी लेने खुद भी भोपाल के चक्कर काटे लेकिन, सप्लाय नहीं मिल सकी।
मेंटेनेंस खर्च और डिपॉजिट की मांग
संचालक मुकाती नेे केंद्र बंद करने की सूचना देने के साथ ही मेंटेनेंस पर किए खर्च और सिक्योरिटी डिपॉजिट लौटाने की मांग की है। मुकाती के अनुसार लीज पर लेने के दौरान केंद्र का भवन बहुत बुरी स्थिति में था। इसका रंग-रोगन और मेंटेनेंस के लिए कई बार आग्रह किया गया था। सुनवाई नहीं होने पर मैंने खुद ही मेंटेनेंस कराया।