
कलेक्टर से लेकर चपरासी को नहीं मिला वेतन
इंदौर। लेखा शाखा के घोटालेबाज बाबू मिलाप चौहान के फैर में पूरे कलेक्टोरेट की तनख्वाह उलझ गई है, नहीं तो एक तारीख को खाते में डल जाती थी। अब कलेक्टर से लेकर चपरासी तक को अपने पारिश्रमिक का इंतजार है। सबसे ज्यादा फजीहत छोटे कर्मचारियों की हो रही है जिनकी समय पर खाते से किस्त कट जाती है।
जिला प्रशासन की लेखा शाखा में पिछले दिनों बड़ा कांड हो गया। 2018 में अनुकंपा नियुक्ति पर आए बाबू मिलाप चौहान ने सरकार को छह करोड़ रुपए की चपत लगा दी। योजनाओं में बांटी जाने वाली राशि को अपने सहित 29 लोगों के खाते में डालकर बड़ा गबन कर लिया। साढ़े तीन साल ये घोटाला चला जिसके बाद भोपाल के कोषालय की टीम ने ऑडिट में पकड़ा। मिलाप को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। उसके स्थान पर लेखा शाखा में गौरव घोड़पकर को नियुक्त किया जो पहले तहसील में नायब नाजिर होने के साथ में वहीं की लेखा शाखा का भी काम देखता था।
हालांकि उसे तहसील से मुक्त नहीं किया गया जिसके चलते तीन तीन काम करना पड़ रहे हैं। वहीं, कलेक्टोरेट के लेखा विभाग को आज तक नहीं देखा। इसका असर कलेक्टोरेट की तनख्वाह पर पड़ गया। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी यानी चपरासी तक के खाते में तनख्वाह नहीं डल पाई है। जबकि सामान्य तौर पर एक तारीख के दिन खाते में चली जाती थी।
बताया जा रहा है कि तनख्वाह डलने में 10 अप्रैल तक का समय हो सकता है, क्योंकि लेखा शाखा पूरी तरह से डरी हुई है और बच-बच कर काम कर रही है। कुछ कर्मचारियों ने तकादा भी लगाया, क्योंकि उन्हें किश्तें चुकानी होती है। किसी ने घर ले रखा है तो किसी ने गाड़ी व अन्य सामान किश्तों पर ले रखा है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है जिन्हें मालूम है कि किश्त चुकने कर पैनल्टी भी हो सकती है।
फरार हैं रणजीत और अमित
पुलिस ने मिलाप सहित 29 लोगों के खिलाफ कूटरचित दस्तावेज और धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज किया। मिलाप को मुख्य आरोपी बनाया गया था तो रणजीत किरोड व अमित निम्बालकर को सह आरोपी बनाया गया। दोनों ही वर्तमान में फरार हैं। पुलिस के हाथ नहीं आए हैं।
Published on:
05 Apr 2023 11:04 am
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