आधुनिक इंजीनियरिंग व आर्किटेक्ट में कई तरह के नवाचार हो रहे हैं पर 2001 के बाद बने स्ट्रक्चर्स में लापरवाहियां दिख रही हैं.....
इंदौर। तुर्की में आए भूंकप की तबाही की तस्वीर अभी आंखों के सामने है। रविवार को इंदौर के समीप धार व बड़वानी क्षेत्र में केंद्रित हल्के भूकंप के झटके महसूस हुए। विश्लेषकों के अनुसार इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर भले ही 3 रही हो पर शहर के आसपास तक इसकी आहट पहुंची। पहले भी शहर के पश्चिम क्षेत्र में इस तरह की हलचल हो चुकी है। लगातार चल रहे भूगर्भीय घटनाक्रम हमारे सिस्टम को सतर्कता की चेतावनी दे रहे हैं।
हाई राइज कल्चर की तरफ बढ़ने का सपना देख रहे महानगर में भूकंप रोधी स्ट्रक्चर के लिए सरकारी महकमे को मैदान मजबूत करने की जरूरत है। रविवार को सीस्मोलॉजी लैब के ट्िवटर पर भूंकप की सूचना देखने के बाद शहर की भूकंप से सुरक्षा को लेकर विशेषज्ञों से चर्चा हुई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। आधुनिक इंजीनियरिंग व आर्किटेक्ट में कई तरह के नवाचार हो रहे हैं पर 2001 के बाद बने स्ट्रक्चर्स में लापरवाहियां दिख रही हैं। तुर्की की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में बेसिक स्ट्रक्चर की कमियां बताई गईं। जैसे शियर वाल नहीं होना, फ्लोटिंग कालम बनाना, क्रॉस बीम नहीं देना, वन वे टाईंग व थीन कॉलम स्ट्रक्चर जैसे कारण शामिल हैं।
बदलाव किए गए, पर कागजी
भूंकप की विभिषिका के बाद से ही स्ट्रक्चरल बदलाव किए गए हैं। भूगर्भीय हलचल की गंभीरता को देखते हुए अब एक श्रेणी ऊपर के आधार पर डिजाइन करना होते हैं। इंदौर और आसपास के जोन भूकंप के अलग अलग जोन में हैं। नर्मदा घाटी से प्रभावित महू तक का हिस्सा जोन तीन में है, इसलिए इसके आसपास के स्ट्रक्चर जोन 4 के अनुसार करने होंगे। नगरीय निकायों में नक्शे स्वीकृत करते समय स्ट्रक्चरल इंजीनियर के प्रमाण-पत्र अनिवार्य किए गए हैं। इस तरह नियम को कड़े किए गए हैं, लेकिन धरारत पर इसका पालन हो रहा या नहीं चेक करने की आवश्यकता है।
इंदौर में इस तरह कमियां
-शहर में अधिकांश मकान भूकंप रोधी नहीं हैं। खास कर कर्मर्शियल बिल्डिंग असुरक्षित है, क्योंकि इनमें एक ही दिशा से बीम बनाए जा रहे हैं। क्रॉस बीम का चलन नहीं है।
-शहर में फ्लैट स्लैब जैसे स्ट्रक्चर का चलन तेजी से बढ़ रहा है, जबकि भूकंप सेसेंटिव जोन में इनको सुरक्षित बनाने की जरूरत होती है।
-लंबे केन्टीलिवर पर हेंगिंग भवन आम नजर आ रहे हैं। इस असुरक्षित स्ट्रक्चर में भूकंप के समय फोर्स से 9 गुना खतरा बढ़ जाता है।
-इसी तरह फ्लाई ओवर पाइल स्ट्रक्चर के स्थान पर ओपन फाउंडेशन बना रहे हैं। बंगाली चौराहा, जवाहर मार्ग आदि ओवरब्रिज इसी तरह के बनाए गए हैं।
-थिन बीम स्ट्रक्चर का भी चलन बढ़ने लगा है।
नियमों का पालन जरूरी
आर्किटेक्ट अतुल सेठ का कहना है कि शहर में स्ट्रक्चर इंजीनियरिंग के आधुनिक स्ट्रक्चर बनाए जा रहे हैं। यह भूकंप रोधी हैं या नहीं, इस बात को देखना चाहिए। तकनीकी रूप से कागजी खानापूर्ति हो रही है। कई भवनों में नजर आ रही विसंगतियां नियमों के उल्लंघन की बानगी हैं। हाई राइज भवनों के साथ इनकी निरीक्षण प्रक्रिया भी बनाने की जरूरत है।