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एरावत हाथी पर विराजे अरिहंत भगवान की निकली शोभायात्रा

- सुमेरु पर्वत पर ले जाकर क्षीर सागर के जल से हुआ अरिहंत भगवान का अभिषेक

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God Arihant on Airavat elephant news

sudhir pandit

इंदौर। एरावत हाथी पर विराजे अरिहंत भगवान की शोभायात्रा विभिन्न मार्गों से होते हुए कार्यक्रम स्थल पहुंची। पूरा यात्रा मार्ग जयकारों से गूंज उठा। जिसमें सौधर्म इंद्र आदि पात्र हाथी-घोड़े व बग्घी पर विराजित थे। महिलाएं केसरिया वस्त्र में व पुरुष वर्ग श्वेत वस्त्र में शामिल हुए।

सोमवार को स्मृति नगर पंचकल्याणक महोत्सव में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि प्रसन्न सागर महाराज ने कहा कि घर में बेटा पैदा हुआ तो परिवार खुश होता है लेकिन जब बेटा बहू के साथ परिवार से अलग हो जाता है। मां सात साल और पिता १६ साल तो गुरु ६० साल तक सिख देता है। संत मुनियों की भूमिका ट्राफिक पुलिस के समान है। जिस तरह से ट्रेफिक पुलिस का काम यातायात को नियंत्रण करना है उसी प्रकार संतो का काम समजा में उत्पन्न गतिरोध को दूर करना है। आज का आदमी अपने बच्चों को तो कम पालता है अपनी इच्छाओं को ज्यादा पालता है। बच्चे के जन्म में भी इच्छाओं को पाल लेते है। जो कार्य हम जिंदगी में नहीं कर सके वह हम अपने बेटे से करवाएंगे। जो हम खुद नहीं बन सके अब बेटे को बनाएंगे। इसका मतलब है कि बंदूक तो हमारी होगी और कंधा बेटे का होगा। बच्चों की इच्छा का भी ख्याल रखना जरूरी है। मुनि पीयुष सागर महाराज ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रभु का जन्म कल्याणक जब बनाते है तो सुमेरू पर्वत पर पांडुक शिला पर सौधर्म इंद्रा १००८ कलशों से छीर सागर के जल से अभिषेक करता है। भगवान के जन्म से पहले इंद्राणी सौधर्म इंद्र को बालक दर्शन के लिए बहुत मनावन करवाती है। जन्म कल्याणक जीवन के विकास का ***** है। सभी धार्मिक क्रियाएं बाल ब्रह्मचारी तरूण भैया ने सपन्न करवाई। धार्मिक क्रियाएं नितिन भैया ने की। सभा में डॉ संजय जैन, जैनेश झांझरी, आर सी गांधी, अशोक जैन आदि उपस्थित थे।