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 दुकान किराए से दी तो लगेगा जीएसटी

जीएसटी के प्रभाव में आम आदमी,  पहले सर्विस टैक्स व वैट के प्रावधानों की गली से बच जाते थे

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Shruti Agrawal

Jul 15, 2017

gst

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इंदौर. जीएसटी लागू होने के बाद व्यापारी-उद्योगपति के बाद अब आम लोगों के सवाल भी शामिल होने लगे हैं। शहर की मुख्य सड़कों पर लोग मकान का दोहरा उपयोग कर रहे हैं। ग्राउंड फ्लोर पर दुकानें बनाकर कमर्शियल मार्केट बना देतें है, और ऊपर की मंजिल पर अपना बसेरा बना लेते हैं। दिलचस्प सवाल यह सामने आ रहा है, क्या इस तरह की गतिविधियां भी जीएसटी के दायरे में आ जाएंगी?
विशेषज्ञों का जवाब इस तरह के प्रॉपर्टी मालिकों और दुकानदारों के लिए चौंकाने वाला है। अब यदि कमर्शियल प्रॉपर्टी किराए से लेने या देने वाला जीएसटी में रजिस्टर्ड होने पर, किराए की आमदनी पर जीएसटी चुकाना होगा। आम तौर पर किराए की दुकान लेने वाला व्यापारी जीएसटी में रजिस्टर्ड होता ही है। अनरजिस्टर्ड के लिए फिक्र की बात नहीं है।
केंद्र सरकार द्वारा बदली गई कर प्रणाली कारोबारियों के बीच ही चर्चा का विषय नहीं रह गई है।
कमर्शियल प्रॉपर्टी के किराये पर रजिस्टर्ड -अन रजिस्टर्ड होने से जो टैक्स लायबिलिटी आ रही है, उससे लोगों के बीच हलचल बढऩे लगी हैं। मुख्य मार्गों पर बनी कमर्शियल प्रॉपर्टी उलझती नजर आ रही है। पूर्व में इन प्रॉपर्टी पर किराए की आमदनी सर्विस टैक्स और वैट के दायरे में होती थी। इनकी वसूली के नियम अलग-अलग होने के कारण लोग टैक्स देने से बच जाते थे। जीएसटी के प्रावधानों में एेसा नहीं हो सकेगा। किराए से देने वाला या लेने वाला दोनों में से एक के पास भी जीएसटी का रजिस्ट्रेशन होगा तो टैक्स की लायबिलिटी आएगी। यह भार एक आम आदमी यानी मकान मालिक पर ही आएगा। यह राशि मामूली नहीं होगी, सर्विस टैक्स की
आवासीय दायरे में नहीं
यहां एक बात साफ है, सिर्फ व्यावसायिक उपयोग की ही प्रॉपर्टी दायरे में आएगी। इसमें एेसा भी होगा, यदि किसी मकान में कमर्शियल गतिविधियां हो रही होगी तो जीएसटी वसूला जाएगा। यदि किराए की संपत्ति का उपयोग आवासीय कर रहा है तो कोई कर नहीं लगेगा। किराए की आमदनी पर टैक्स लायबिलिटी रिवर्स चार्ज के अंतर्गत छोटे से छोटे व्यक्ति पर आ रही है क्योंकि किराए या ऑफिस लेने वाले का जीएसटी में रजिस्ट्रेशन होगा। इससे किराएदार और मकान मालिक के बीच तालमेल नहीं होने पर मुश्किल आएगी।