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किसानों की मजबूरी है दवाइयों का छिडक़ाव, कोई कानून भी नहीं

बाजारों में बिक रही हानिकारक सब्जियां किसानों की मजबूरी है दवाइयों का छिडक़ाव, कोई कानून भी नहीं

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किसानों की मजबूरी है दवाइयों का छिडक़ाव, कोई कानून भी नहीं

अंजीत बाथम

डॉ. आंबेडकर नगर(महू). किसानों को बारिश कम होने के कारण अपनी फसलों को रसायनिक दवाइयों से पैदा करना पड़ रहा है, जिसके चलते किसान अधिक मात्रा में दवाइयों का छिडक़ाव कर रहे हैं। रसायनिक सब्जियों में चमक भी होती है। जिसे जनता अच्छी समझ कर ले जाना पसंद करती है। लेकिन वह इन सब्जियों को पहचान नहीं पाते है, जबकि यह सब्जियां सेहत के लिए हानिकारक होती है। बाजार में बिक रही सब्जियों के रंग-रूप को देखकर उन्हें लेने के लिए किसी के भी मन में लालच आ सकता है। लेकिन इन सब्जियों के इस्तेमाल से होने वाले फायदे या नुकसान के बारे में किसी को कुछ पता नहीं है। सब्जी मण्डी में बंैगन, टमाटर, गोभी, लौकी आदि हाइब्रिड किस्मों की भरमार है। इन सब्जियों में जमकर रसायनिक खाद और दवाओं को इस्तेमाल किया जा रहा है। दवाइयों के उपयोग से सब्जियों के उपज में दोगुने से भी ज्यादा का इजाफा होता है। इसके साथ ही समय से पहले फसल भी तैयार हो जाती है। रासायनिक दवाओं के इस्तेमाल से सब्जियों के अंदर के विटामिन खत्म हो जाते हैं, जो फायदा करने के बजाय नुकसान पहुंचाते हंै। जानकारी अनुसार, कीटनाशक दवाओं के प्रयोग के बाद 15 से 20 दिन तक सब्जियों को खाने से बचना चाहिए मगर किसान मुनाफे के लालच में दवाओं के छिडक़ाव के बाद ही बाजार में बेचते रहते हैं। साथ ही इन सब्जियों को खाने से परहेज करने की नसीहत भी देते है। लेकिन इन्हीं सब्जियों से बिमारी होती है। किसान संघ तहसील अध्यक्ष मोहन पांडे ने बताया, किसान लगातार रसायनिक की मदद से सब्जी पैदा कर रहे हैं, जबकि खेतों में छिडक़ाव के लिए दवाइयां भी महंगी है, लेकिन फिर भी किसान लालच में आकर दवाइयों का छिडक़ाव कर रहे हंै। साथ ही बताया कि इसके लिए किसान की मजबूरी है क्योंकि सब्जी खरीदनें आ रहे ग्राहक भी चमक वाली सब्जियां खरीदतें है। जैविक खेती से किसानों को भी नुकसान होता है। यदि किसान रसायनिक खेती नही करेंगे तो उन्हें नुकसान होगा। किसान जैविक खेती करता है तो इससे खुद को ही नुकसान होता है। क्योंकि इससे उपज कम होती है। इस संबंध में कृषि विभाग अधिकारी आरएनएस भदोरिया ने बताया कि हम किसानों को सिमित मात्रा में दवाइयों के छिडक़ाव के लिए कहते हंै, लेकिन इसके उपरांत भी किसान अधिक मात्रा में दवाइयों का छिडक़ाव करते हंै। सब्जियों के लिए किसान अब इंजेक्शन का भी इस्तेमाल करने लगे हंै। लेकिन अभी तक इन दवाइयों के छिडक़ाव पर कोई भी कानून नही बनाया गया है। सिविल अस्पताल प्रभारी वर्मा का कहना है कि इसके कारण बच्चें ज्यादा बिमार होते हैं। रसायनिक सब्जियों से कई तरह की बिमारियां होती हैं। जिसके चलते अस्पताल में मरीजों की संख्या भी बढऩे लगी है।

लोगों को चमक वाली सब्जियां पसंद-
व्यापारियों का कहना है कि सब्जी लेने आ रहे ग्राहकों को चमक वाली सब्जियां ही पसंद आती हैं, जो दिखने में अच्छी होती है। जबकि जैविक खेती से जो सब्जियां होती हैं उनकी चमक भी कम होती है। किसान जिस तरह की सब्जियां लेकर आते हैं, हमें खरीदना होती है।