
indore hukumchand mill
इंदौर. हुकमचंद मिल इंदौर की उस जमाने की सबसे आधुनिक और सबसे बड़ी टैक्सटाइल मिल थी। इसकी स्थापना 21 करोड़ रुपए की पूंजी के साथ 1915 में सर सेठ हुकमचंद ने की थी। 80 के दशक में मिल की हालत बिगड़ी और धीरे-धीरे बंद हो गई। इसके 4 हजार से ज्यादा श्रमिक आज भी पेंशन-भत्ते की राशि के लिए भटक रहे हैं। इसका परिसर 100 एकड़ में फैला है।
अब नगर निगम हुकमचंद मिल की जमीन को विकसित कर बेचेगा। इससे जो रकम मिलेगी, उससे मजदूरों का भुगतान किया जाएगा। निगम की तरफ से यह जानकारी हाई कोर्ट में दी गई। कोर्ट ने कहा, निगम समयबद्ध कार्य योजना प्रस्तुत करे। मजदूर यूनियन ने कोर्ट को बताया कि कोरोनाकाल में 19 मजदूरों की मौत हो चुकी है। कोर्ट ने इसे रिकॉर्ड पर लिया।
यह है मामला
26 साल पहले हुकमचंद मिल बंद हुई थी। इसके बाद से मिल के पांच हजार से ज्यादा मजदूर वेतन, ग्रेच्युटी और अन्य लेनदारियों के लिए भटक रहे हैं। कोर्ट ने मिल की जमीन बेचकर मजदूरों का भुगतान करने का आदेश दिया था। कई बार नीलामी निकालने के बावजूद जमीन नहीं बिकी। सरकार ने मिल की जमीन का लैंड यूज औद्योगिक से बदलकर वाणिज्यिक और आवासीय कर दिया है। मिल की कुल जमीन में से 10.768 हेक्टेयर जमीन का लैंड यूज वाणिज्यिक और 6.752 हेक्टेयर जमीन का लैंड यूज आवासीय किया गया है।
Published on:
14 Oct 2020 09:23 pm
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