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110 करोड़ के फ्लैट को नहीं मिल रहे खरीदार

अदूरदर्शी फैसलों ने उलझा दिए करोड़ों : स्विमिंग पूल-ऑडिटोरियम ‘अनाथ’

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इंदौर

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Ramesh Vaidh

Dec 12, 2020

110 करोड़ के फ्लैट को नहीं मिल रहे खरीदार

स्विमिंग पूल

इंदौर. अपनी योजनाओं में 5 हजार एकड़ से ज्यादा आवासीय-व्यावसायिक जमीनें अटकाए बैठे आइडीए में नेता और अफसरों के अदूरदर्शी फैसलों ने 150 करोड़ रुपए बर्बाद कर दिए। फ्लैट आधारित टाउनशिप का निर्माण हो या स्वीमिंग पूल व आडिटोरियम बनाने का आइडिया शहर के काम नहीं आ रहा है। आवागमन की सुविधा किए बिना 847 फ्लैट खड़े कर दिए, 7 साल से खरीदार नहीं मिल रहे। संचालन कौन करेगा, यह बिना सोचे समझे ही करोड़ों रुपए स्विमिंग पूल और ऑडिटोरियम के स्ट्रक्चर बनाने में बर्बाद कर दिए, अब इनके संचालक ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।
नए भूमि अधिग्रहण कानून में तीन गुना मुआवजा देने की नीति के कारण जमीन अधिग्रहण में असमर्थ आइडीए शहर के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाने भी असहाय महसूस करने लगा है। अफसर-नेताओं के अंदाजी घोड़े अब आइडीए के लिए गले की हड्डी बन गए हैं। 2015 के बाद से ही 150 करोड़ के इन विकास कार्यों को उपयोग साबित करने की कोशिशें हर दम बेकार हो रही हैं। खर्चीली सोच और नियमों के आड़े आने से बायपास से उज्जैन रोड के बीच का विकास पूरी तरह रुका पड़ा है। मास्टर प्लान की अनदेखी से शहर अनियोजित और अवैध कॉलोनियां का गढ़ बनता जा रहा है। आनंद वन में बिके फ्लैट के बाद लालच में आए आइडीए की 200 करोड़ रुपए की संपत्ति की कीमत और योजना देख कर खरीदार-संचालक मुंह फेर रहे हैं।
खेल विभाग भी राशि देख तैयार नहीं
आइडीए ने पीपल्याहाना में खेल परिसर की जमीन पर स्विमिंग पूल का निर्माण शुरू किया। १ करोड़ खर्च कर 22.11 करोड़ रुपए की योजना तैयार की। 13.97 करोड़ खर्च कर सिविल कार्य हो चुका है। अब विशेष कार्य शेष है। आइडीए इसे संचालन के लिए नगर निगम या खेल विभाग को देना चाहता है। इसके लिए जमीन की कीमत 14 करोड़ सहित करीब 30 करोड़ रुपए की राशि मांगी जा रही है। खेल विभाग के अफसर दो बार देख चुके हैं, लेकिन कीमत और खर्च को देखते हुए अभी तैयार नहीं हो पा रहे हैं। बताया जा रहा है, मानकों की कसौटी पर इसमें कुछ कमियां हैं, जिससे मुश्किल आ
सकती है।
संवारने के लिए चाहिए 10 करोड़
इसी तरह सांस्कृतिक सेहत की फिक्र करते हुए राजेन्द्र नगर में योजना-97-4 में ऑडिटोरियम का निर्माण किया। इसका निर्माण 2208-09 से शुरू किया। 2013 में राजनीतिक बोर्ड ने इसे शुरू करवाने के लिए प्रयास शुरू किए। इससे पहले इसे भारत भवन की तर्ज पर विकसित करने के लिए मामला सरकार के पास अटका रहा। इसके निर्माण पर अब तक ८ करोड़ रुपए खर्च हो चुका है। इसकी साज-सज्जा, कुर्सियां और साउंड सिस्टम लगाया जाना है। इसमें करीब 8-10 करोड़ रुपए की लागत आएगी। ७ साल हो चुके हैं, न इसे संवारने वाला मिल रहा है और न ही आइडीए इसमें राशि खर्च करके इसका संचालन करना चाहता है।
155 में फ्लैट: 4 लाख तक घटाना पड़ी कीमत
आइडीए ने 2010-11 में योजना-151 संगम नगर और सुपर कॉरिडोर के समीप योजना-155 तैयार की। इसमें मुबंई की सोसाइटियों की तर्ज पर फ्लैट आधारित टाउनशिप बना दी। ईडब्ल्यूएस श्रेणी के साथ ही 800 से 1100 वर्ग फीट के २ बीएचके के फ्लैट तैयार करवाए जो 2013 में बन गए। नियमानुसार कीमत 12 से 24 लाख रुपए तक तय कर दी। शुरुआत में 10-12 फ्लैट बिके लेकिन अब खरीदार नहीं मिल रहे हैं। आइडीए ने 2018 में कीमतों में 10 फीसदी कटौती की, इसके बाद भी नहीं बिके। अब फिर प्रयास शुरू किए, इस बार २ लाख रुपए तक कीमत कम कर फिक्स रेट पर निविदा बुलाने की तैयारी है। इस तरह बीते सात साल में 2.50 लाख से 4 लाख रुपए तक की कटौती की जा चुकी है, अब भी बिकने की उम्मीद ही है।
इसलिए नहीं बिक रहे
आइडीए को उम्मीद थी, टीसीएस, नारसीमोनजी, सिंबायोसिस और इंफोसिस जैसे बड़े उपक्रम आने के बाद सुपर कॉरिडोर का विकास होगा और यह फ्लैट हाथों-हाथ बिकेंगे, लेकिन महेश गार्ड लाइन वाली सडक़ को जोड़ते हुए फ्लैट स्थल से बड़े गणपति तक का मार्ग सात साल में नहीं बन सका।