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इंदला डेम की नहर के पास खनन, ब्लास्टिंग से फूटने का अंदेशा

आबादी क्षेत्र व सडक़ किनारे दे दी खदान की अनुमति

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इंदौर

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Anil Phanse

Nov 03, 2022

इंदला डेम की नहर के पास खनन, ब्लास्टिंग से फूटने का अंदेशा

इंदला डेम की नहर के पास खनन, ब्लास्टिंग से फूटने का अंदेशा

धार। जिले में अवैध खनन के कई मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन इस बार नियमों से परे जाकर अनुमति देकर खदान देने का मामला सामने आया है।

जिले के गंधवानी विधानसभा स्थित ग्राम टांडा में गौण खनिज नियम 1996 के नियम 18.1 के तहत नवीनह्म्करण उत्खनन पट्टा प्राप्त करने के लिए पट्टाधारी राजेंद्र पिता गेंदालाल जैन निवासी टांडा ने आवेदन दिया था। यह पट्टा भूमि ग्राम खरवानी मगदी कुक्षी के खसरा नंबर 68.ए 122.1.1 रकबा 2 हजार हेक्टेयर है। खदान देने में नियमों की भी अनदेखी खनिज विभाग धार के अधिकारियों ने की है। नियमानुसार नदी, तालाब, झील व नहर के आसपास होने पर खदान का संचालन नहीं किया जाता,लेकिन जिस स्थान पर खदान की मंजूरी दी गई है वहां पर इंदला डेम की नहर जा रही है, जो सिंचाई के लिए बनाई गई है। नहर से 200 मीटर की दूरी पर ही खदान का संचालन हो रहा है। यहां गिट्टी निकालने के लिए पत्थरों में ब्लास्टिंग भी होती है। ऐसे में नहर के टूटने का खतरा है। साथ ही आबादी क्षेत्र और कृषि भूमि के आसपास खदान के कारण दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहेगा।

स्टेट हाईवे का निर्माण जारी
यह खदान जिस प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ से लगकर संचालित हो रही है वह स्टेट हाईवे में तब्दील होने जा रहा है। जीराबाद से गुजरात तक मप्र सडक़ विकास प्राधिकरण यानी एमपीआरडीसी यहां 300 करोड़ की लागत से टूलेन सडक़ का निर्माण करवा रहा है। ऐसे में खदान सडक़ किनारे हाईवे पर संचालित होगी। जिससे ब्लॉस्टिंग के वक्त ट्रैफिक के चलते दुर्घटना का अंदेशा बनने की संभावना रहेगी। खदान का संचालन कुछ माह पूर्व ही शुरू हुआ है। यहां पर अप्रैल में ही खनिज विभाग धार ने जरूरी अनुमतियां जारी की है। अनुमति जारी होते वक्त बुलवाई गई आपत्ति में युकां जिलाध्यक्ष करीम कुरैशी ने भी लिखित आपत्ति दर्ज करवाई थी।

धड़़ल्ले से बढीं खदानें
जिले में बीते एक साल में खदानों की संख्या एकदम से बढ़ी है। इनमें कई तरह की अनुमति के विपरीत खदान आवंटन हुआ है। सूत्रों की मानें तो पीथमपुर में भी कई ऐसी खदानें हैं जो नियम विरूद्ध संचालित की जा रही हैं। पूर्व माइनिंग अधिकारी एमएस खतेडिय़ा के वरदहस्त से खनन माफिया जिले में बनते हैं। छोटा सा नमूना माइनिंग ऑफिस के पीछे कुछ कदमों की दूरी पर देखने को मिलता है। जहां अनुमति के विपरीत बड़े हिस्से में मुरम की खुदाई कर दी गई है। निजी जमीन पर खनन की अनुमति ली गई थी, सरकारी हिस्से में भी खुदाई हो गई है। जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान दें तो बड़ी लापरवाही सामने आ सकती है मामले में खनिज विभाग के जे एस भिड़े से खबर को लेकर चर्चा करनी चाहिए तो जिम्मेदार अधिकारी से संपर्क नही हो पाया।