
गर्मी में दूषित खाद्य सामग्री की नहीं हो रही जांच, जनता भुगत रही खामियाजा
इंदौर. गर्मी के मौसम में बीमारियां फैलाने का बड़ा कारण दूषित व बिना सावधानी बेची जाने वाली खाद्य सामग्री रहती है, पर खाद्य एवं औषधि विभाग इस ओर सक्रिय नहीं हुआ है। इसकी वजह आचार संहिता व वीआईपी मूवमेंट बताया जा रहा है।
दरअसल प्रशासन, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग में खाद्य विभाग हैं। मुख्य जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग का खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग निभाता है। चुनाव ड्यूटी में लगने वाले कर्मचारियों के खाने-पीने की व्यवस्था के लिए टेंडर प्रक्रिया के साथ वीआईपी मूवमेंट के चलते ड्यूटी का बहाना बनाकर अधिकारी रूटीन जांच नहीं कर रहे हैं। इसका फायदा दुकानदार और खामियाजा जनता भुगत रही है।
दूषित सामग्री बिगाड़ रही सेहत
गर्मी शुरू होते ही बाजार में बर्फ के गोले, शरबत, सस्ती कुल्फी बिकने लगी है। मिठास के नाम पर इनमें सैक्रीन मिलाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। वहीं, दूध की कुल्फी में भी मिलावट होना आम बात है। ये सस्ती कुल्फी और पेप्सी के पाउच बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। सस्ती बर्फ भी सेहत के लिए हानिकारक होती है। समय-समय पर बर्फ फैक्ट्रियों में जांच में यह बात सामने आई है। वहीं पानी को भी कई प्रकार की पैकिंग में बेचा जा रहा है।
पांच लाख तक जुर्माने का प्रावधान
खाद्य सामग्री बेचने के लिए लायसेंस, रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। बिना लायसेंस खाद्य सामग्री बेचने पर 5 लाख रुपए तक जुर्माना और बिना रजिस्ट्रेशन पर 25 हजार रुपए तक जुर्माना होता है। नियमानुसार दुकानदार किसी भी अवस्था में खुले रूप से खाद्य सामग्री नहीं बेच सकता है। होटलों, ठेलों पर खाद्य सामग्री बेचने वालों को खाद्य सामग्री की धूल, जीवाणुओं से सुरक्षा जरूरी है। इसके लिए उसे खाद्य सामग्री पर जाली लगाना या शोकेस में रखना अनिवार्य है।
-गर्मी की शुरुआत में हमने आइसक्रीम, ज्यूस, बर्फ, कोल्ड्रिंक, गन्ने के रस के सेंपल लिए थे। कुछ स्थानों पर कार्रवाई भी की है। फिलहाल वीआईपी मूवमेंट के कारण मुहिम नहीं चला पा रहे हैं। तीन-चार दिन में दोबारा अभियान शुरू कर दूषित सामग्री बेचने वालों पर सख्ती की जाएगी।
-मनीष स्वामी, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग
Published on:
10 May 2019 12:53 pm
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