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भारत पाकिस्तान की लव स्टोरी, पढ़िए कैसे पाई अपनी मंज़िल

locationइंदौरPublished: Feb 14, 2018 01:12:17 pm

Submitted by:

nidhi awasthi

धर्म, सरहद की जंजीरों को तोड़ पाकिस्तान में पा लिया अपना प्यार

valentine special

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इंदौर. कहते हैं कि जब प्यार होता है तो फिर न धर्म दिखता है और न सरहदें। सभी सीमाएं अपने आप खुलने लगती हैं और मुश्किलें आसान हो जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है इंदौर की स्वीटी (अब शिलीन अली सूफी) और पाकिस्तान के शेर अली सूफी की। दोनों की दोस्ती फेसबुक पर हुई। प्यार हुआ और शादी के लिए बात बनी। समाज, सरकार और हर बंधन ने अड़ंगा लगाया, लेकिन प्यार के आगे किसी की नहीं चली। आखिर में स्वीटी की शादी हुई और दोनों पाकिस्तान में अब खुशी से रह रहे हैं।
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पाकिस्तान के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र की हुंजा घाटी के शिमशाल गांव निवासी शेर अली फेसबुक पर रूमी और सुफीज्म ग्रुप चलाते थे। दिसंबर २०१० में स्वीटी ने उन्हें फे्रंड रिक्वेस्ट भेजी। उन्होंने एक्सेप्ट कर ली। इसी के साथ दोनों के बीच बातों का सिलसिला शुरू हो गया। कुछ समय बाद स्वीटी ने शेर अली को प्रपोज कर दिया, लेकिन शेर अली के लिए ये इतना आसान नहीं था। उसे सरहदों और धर्म के नाम पर आने वाली परेशानियों की चिंता थी और पता था कि इस स्टोरी की हैप्पी एंङ्क्षडग नहीं होगी। आखिर में उसने स्वीटी का प्रपोजल ठुकरा दिया।
जूझती रही स्वीटी, लेकिन नहीं मानी हार
इनकार करने के बाद भी स्वीटी ने हौसला नहीं छोड़ा। वह लगातार शेर अली को भारत बुलाने की कोशिश करती रही। जैसे-जैसे समय गुजरता गया शेर अली के मन में भी स्वीटी के लिए फीलिंग्स आने लगी, लेकिन अब दूसरी समस्या सामने थी। इंदौर में माता-पिता स्वीटी के भविष्य को लेकर चिंतित थे। स्वीटी ईसाई धर्म से थी और शेर अली इस्माइली मुस्लिम। स्वीटी के पिता ने कभी हुंजा घाटी का नाम भी नहीं सुना था और वे वहां के हालातों को लेकर भी चिंतित थे। इसलिए शेर अली ने भी भारत आने का मन मना लिया। अगले दो साल तक वीजा लेने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाब रहे।
इंडिया-पाकिस्तान मैच ने दिखाई राह, माने पिता
कहते हैं कि जहां चाह है वहां राह है। २०१२ में पाकिस्तान की टीम भारत दौरे पर क्रिकेट खेलने पहुंची और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस मैच के लिए कई वीजा जारी किए। इसी में एक नाम शेर अली का भी था। दिसंबर २०१२ में शेर अली इंदौर आए और स्वीटी के माता पिता से मिले। शेर अली ने बताया कि मैंने उन्हें हुंजा और इस्माइलिस के बारे में बताया। फेसबुक पेज और वेबसाइट्स दिखाई। उन्हें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि पाकिस्तान के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में भी कोई जीवन हो सकता है। आखिर में वे मान गए। स्वीटी के दादा के बड़े भाई चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान रह चुके हैं।
वीजा पर कोई हस्ताक्षर करने को नहीं था तैयार
पालकों के मानने के बाद भी परेशानी खत्म नहीं हुई। शेर अली की वीजा अवधि खत्म हो गई और आगे नहीं बढ़ाई गई। पाकिस्तानी होने के चलते उनके वीजा पर कोई अधिकारी हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं था। इसलिए पाकिस्तान वापस जाना पड़ा। फिर यहां वीजा की कोशिश शुरू हो गई। काफी संघर्ष और कई माह के इंतजार के बाद भारत के लिए दूसरा वीजा मिल गया।
शादी के बाद परिवार ने देखा पाकिस्तान
२७ अक्टूबर २०१४ को दोनों की शादी हो गई। शादी के दो दिन बाद ही शेर अली स्वीटी और उसके माता-पिता को पाकिस्तान की हुंजा वैली दिखाने के लिए ले आया। यहां स्वीटी ने अपना नाम बदलकर शिरीन अली सूफी रख लिया है। दोनों का एक सुंदर बच्चा भी है। वे अब सुखी पारिवारिक जीवन जी रहे हैं।

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