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पांच तहसील घोषित होने से खड़ा हुआ नया बखेड़ा

पूर्व कलेक्टर नरहरि ने अपनी जिद के लिए कर दी थी आठ, फिर से करना पड़ेगी सारी मशक्कत

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इंदौर. आम जनता की सुविधा के लिए सरकार ने कल इंदौर शहर में पांच नई तहसील बनाए जाने की घोषणा कर दी है। इसके बाद नया बवाल खड़ा हो गया है, क्योंकि इसके कारण नए सिरे से सारी जोड़-घटाव होगा। वर्तमान में पांच तहसीलें हैं, लेकिन तीन साल पहले तत्कालीन कलेक्टर पी. नरहरि ने अपनी जिद के चलते ये आठ कर दी थीं।
सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार इंदौर जिले में इंदौर, महू, सांवेर, देपालपुर और हातोद तहसील थी।

इसमें इंदौर शहर के टुकड़े करके पांच नई तहसील बनाए जाने की कल मुख्यमंत्री शिवरासिंह चौहान की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। उसके हिसाब से सारा ढांचा तैयार किया जाएगा। चौंकाने वाली बात ये है कि छह साल पहले ही जिला प्रशासन ने शहर की तहसील के बंटवारे कर दिए थे। तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने पांच तहसील बना दी थी। उसके आधार पर दस्तावेजों का बंटवारा करके कामकाज भी शुरू कर दिया गया था।

बकायदा इसको लेकर राजस्व विभाग को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा गया ताकि सरकार की तरफ से मुहर लग जाए। समय बीता और त्रिपाठी का तबादला हो गया। कलेक्टर बनकर आए पी. नरहरि ने नए सिरे से तहसीलों पर काम करने के निर्देश दिए। उन्होंने पांच को बढ़ाकर आठ तहसील करने का फैसला कर दिया। साथ में नजूल और रजिस्ट्रार पब्लिक ट्रस्ट को सभी एसडीएम क्षेत्र के हिसाब से बांट दिया।

उनके इस फैसले से बहुत उलझनें पैदा हुईं, लेकिन जिद की वजह से अमल करना पड़ा। अब कल शिवराज मंत्रिमंडल की कैबिनेट ने पांच तहसील की घोषणा कर दी। इसके साथ में नया बखेड़ा खड़ा हो गया। अब नए सिरे से पांच तहसील का गठन करना होगा। नक्शे और रिकॉर्ड पर गांवों को इधर-उधर करने के साथ में दस्तावेजों का बंटवारा भी करना होगा। ये काम इतना आसान नहीं है जिसमें कर्मचारियों को महिनों परेशान होना पड़ता है। इधर, अफसरों की भी जमकर फजीहत होती है।

तैयार होगा तहसील का ढांचा
इंदौर के शहरी क्षेत्र की आठ के बजाए अब पांच तहसीलें होंगी। प्रत्येक में तहसीलदार, अतिरिक्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सहायक ग्रेड-1, जमादार, दफतरी, बस्तावरदार और वाहन चालक के एक-एक पद, सहायक ग्रेड-2 के दो पद तथा सहायक ग्रेड-3 और भृत्य के चार-चार पद कुल 16 पद पद होंगे। इसको लेकर सरकार ने मंजूरी दे दी है।

बनाया जाएगा नया भवन
नई तहसील मंजूर करने के बाद में अब उनके भवनों को लेकर भी कवायदें तेज होंगी। पूर्व में भी जब प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था तब सभी तहसीलों के निर्माण को लेकर जमीन की तलाश शुरू कर दी गई थी। एसडीओ व तहसीलदारों को निर्देश दिए गए थे, कुछ ने ढूंढ़ी भी थी तो कुछ ने शहरी सीमा में शामिल हुए पंचायत भवनों में कार्यालय बनाने का प्रस्ताव भी दिया था। कुल मिलाकर अब प्रशासनिक संकुल से अफसरों की दूरी बन जाएगी, क्योंकि उन्हें अपने-अपने क्षेत्र में ही बैठना होगा।