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स्वच्छता का इंदौर मॉडल देश की पाठशाला: अब NEXT LEVAL सिलेबस की दरकार

हमसे सीखकर कई शहरों ने सुधारी व्यवस्था, अब सिखाने की फीस प्रति व्यक्ति @ 2000

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स्वच्छता का इंदौर मॉडल देश की पाठशाला: अब NEXT LEVAL सिलेबस की दरकार

स्वच्छता का इंदौर मॉडल देश की पाठशाला: अब NEXT LEVAL सिलेबस की दरकार

इंदौर. लगातार सात बार सफाई में अव्वल अपना इंदौर स्वच्छता की पाठशाला है। इंदौर के सफाई मॉडल का सबक सीखने के लिए 700 से अधिक शहरों के प्रतिनिधि आए। हालांकि अब इंदौर को ही अपनी पाठशाला के लिए नेक्स्ट लेवल सिलेबस तैयार करना होगा। दूसरी ओर सफाई का सबक सिखाने के बदले नगर निगम राजस्व भी जुटाएगा। प्रति व्यक्ति 2000 रुपए चार्ज लगाने की तैयारी है। एमआइसी में यह प्रस्ताव पास हो गया है।

दरअसल, इंदौर के सफाई मॉडल को सूरत के अधिकारियों ने अपने यहां लागू किया और यही वजह है कि तीन वर्षों से जो शहर दूसरे स्थान पर बना हुआ था, वह इस बार के स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर के लगभग बराबर आ गया। इंदौर में ही सबसे पहले डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने के लिए विशेष वाहनों की डिजाइन बनवाई गई। निगम अफसरों ने वाहन कंपनियों के साथ बैठक कर गीले और सूखे कचरे के लिए अलग-अलग बॉक्स बनवाए थे। उन्हीं वाहनों से अलग-अलग कचरा संग्रहण इंदौर में शुरू हुआ। यह इंदौर का बेस मॉडल था और यही मास्टर स्ट्रोक भी साबित हुआ। वाहनों की डिजाइन और डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण का यह मॉडल समझने के लिए देश ही नहीं, विदेश से भी प्रतिनिधि इंदौर आए। फ्रांस, उरुग्वे, फिजी, जांबिया, ग्वाटेमाला और होंडुरास का विदेशी दल और केरल, गोवा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु आदि राज्यों के 700 से अधिक शहरों के प्रतिनिधि इंदौर आ चुके हैं।

इंदौर की ही एजेंसियों ने सूरत में अपनाया मॉडल

इंदौर के प्रभावी स्वच्छता मॉडल को अपनाकर ही सूरत को बढ़त मिली है। इंदौर नगर निगम के साथ मिलकर काम करने वाली कई एजेंसियां अब सूरत में काम कर रही हैं। उन्हें इंदौर के मॉडल के बारे में बेहतर जानकारी है। उसी मॉडल को सूरत के साथ नवी मुंबई ने भी अपनाया। इसी से इन शहरों को इस बार बढ़त मिली। अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन के मुताबिक इंदौर का स्वच्छता मॉडल सीखने के लिए अब शुल्क देना होगा। इसके लिए प्रति व्यक्ति 2000 रुपए शुल्क तय किया गया है।

स्वच्छता की पाठशाला है शहरइंदौर स्वच्छता की प्रेरणा और पाठशाला है। यहां कई शहर आकर सीख चुके हैं और वह इंदौर के मॉडल को अपना रहे हैं। शहर के रहवासियों की आदत में सफाई शामिल है। यहां का डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण और उसका निपटान मॉडल हमारी ताकत है। इसे अब तक कई शहर शत-प्रतिशत लागू नहीं कर सके हैं।

पुष्यमित्र भार्गव, महापौर