सामान्य दिनों में शहर में 75 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर प्रदूषण होता है, जो दिवाली पर 225 से 250 माइक्रो ग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंचने की आशंका है। तापमान कम होने से यह काफी खतरनाक होगा, क्योंकि मौसम भारी होने से धुआं और धूल नीचे ही रहते हैं। इस बार तापमान रात में 21 डिग्री के आसपास चल रहा है। शाम से धुंध और रात को ओस गिर रही है। ओस के कारण पटाखों का धुआं, धूल और केमिकल वातावरण में ही घूमेगा और सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर परेशानी करेगा।
खुले स्थान पर करें आतिशबाजी
खुले स्थान पर करें आतिशबाजी
वैज्ञानिक डॉ. दिलीप वाघेला की मानें तो नमीभरे सर्द मौसम में अधिक से अधिक ईको फ्रेंडली पटाखों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पारंपरिक पटाखे अधिक ध्वनि और वायु प्रदूषण करते हैं। आतिशबाजी खुले मैदान या अन्य खुली जगह में करने से नुकसान कम होगा। छोटी गलियों या इमारतों के बीच आतिशबाजी से धुआं वहीं घूमता है और नुकसान अधिक होता। इस बार नमी युक्त सर्दी से परेशानी अधिक होगी।
इन जगहों पर होगी मॉनिटरिंग
वाघेला ने बताया, दीप पर्व पर होने वाले प्रदूषण को नापने और मॉनिटरिंग के लिए शहर में 6 स्थान तय किए गए हैं। मुख्य रूप से कोठारी मार्केट और विजय नगर चौराहे पर प्रदूषण नापा जाएगा। इसके अलावा स्कीम नंबर 78 , महू नाका, पोलोग्राउंड और डीआइजी ऑफिस पर रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम से भी प्रदूषण मापा जाएगा।
वाघेला ने बताया, दीप पर्व पर होने वाले प्रदूषण को नापने और मॉनिटरिंग के लिए शहर में 6 स्थान तय किए गए हैं। मुख्य रूप से कोठारी मार्केट और विजय नगर चौराहे पर प्रदूषण नापा जाएगा। इसके अलावा स्कीम नंबर 78 , महू नाका, पोलोग्राउंड और डीआइजी ऑफिस पर रियल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम से भी प्रदूषण मापा जाएगा।