
सेना को आत्मनिर्भर बनाने में इंदौर के उद्योगों का दम
विकास मिश्रा, इंदौर
केंद्र सराकर द्वारा देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का अभियान शुरू किया है। सेना और सुरक्षा के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली 350 से अधिक वस्तुएं के आयात पर प्रतिबंध लगाया गया है। ये वस्तुएं और उनके कलपुर्जे देश में ही बनाए जाएंगे। इसी अभियान के तहत देश की सेना को आत्मनिर्भर बनाने में इंदौर का उद्योग जगत दम दे रहा है। शहर कुछ उद्योग मिनिस्ट्रि ऑफ डिफेंस और डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) को सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े उत्पाद सप्लाय कर रहे हैं। कोई हथियार और गोला-बारूद बनाने वाली ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के लिए फायर फाइटिंग वीकल तैयार कर रहा तो किसी ने देश की सुरक्षा का दायरा मजबूत करने के लिए डीआरडीओ के साथ मिलकर लेजर तकनीक से एंटी ड्रोन सिस्टम बनाने में मदद कर रहा है। देश की हजारों किलोमीटर की बॉर्डर पर लगने वाले कटीले तारों की फैंसिंग, सुरक्षा के लिए पहाड़ों पर लगने वाले जालियों का निर्माण भी इंदौर में हो रहा है। गणतंत्र दिवस के मौके पर डिफेंस मिनिस्ट्री को सप्लाय करने वाले इंदौर के उद्योगपतियों से जुड़ी रोचक जानकारी....
एंटी ड्रोन सिस्टम : खतरा भांपकर लेजर से उड़ा देता है दुश्मन को
पोलोग्राउंड औद्योगिक क्षेत्र के सिद्धार्थ धवले डीआरडीओ के साथ मिलकर देश की सुरक्षा का दायरा बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री सहित देश के वीवीआइपी की सुरक्षा में इस्तेमाल होने वाली एंटी ड्रोन तकनीक के लिए जरूरी उपकरण तैयार करते हैं। दो साल से पीएम की सुरक्षा में इस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। ड्रोन हमले से बचने के लिए इसका इस्तेमाल होता है। यह सिस्टम खतरा भांपकर लेजर से 'दुश्मनÓ को उड़ा देता है। धवले बताते हैं, इसे लेजर डिलीवरी सिस्टम कहते हैं। डीआरडीओ के निर्देशन में एक उपकरण और बनाया है जो 100 मीटर दूर से विस्फोट सहित अन्य घातक केमिकल की पहचान कर लेता है। सैन्य सुरक्षा में इसका इस्तेमाल होता है। सेना के युद्ध अभ्यास में इस्तेमाल सिमुलेटरर्स भी धवले की कंपनी बनाती है। इस तनकीक से सैनिकों के निशानों की परख होती है।
गोला-बारूद, बनाने वाली फैक्ट्रिी में हमारे फायर फाइटिंग वीकल
देश में 28 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां हंै, जहां गोला, बारूद, मिसाइल, टैंक, बंदूकें आदि बनती हैं। इन फैक्ट्रियों में आग से सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक फायर फाइटिंग वीकल इंदौर में तैयार होते हैं। सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में यह काम संभाल रहे युवा आयुष डफरिया ने, जो अब तक 50 से अधिक गाडिय़ां मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस को सप्लाय कर चुके हैं।जबलपुर, देहरादून, चांदा, कोलकाता, चांदा, कानपूर और त्रिची की ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के अलावा महू कैंट भी इंदौर की बनी गाडिय़ा इस्तेमाल हो रही हैं। मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस को जाने वाली गाडिय़ों को कड़ी परीक्षा के बाद बेड़े में शामिल किया जाता है। आयुष बताते हैं, तमाम मानकों के अलावा लगातार 100 घंटे तक गाडिय़ां चलाकर चेक किया जाता है।
हमारे कटीले तारों की बॉर्डर दुश्मनों की रोकती है राह
देश की हजारों किलोमीटर की बॉर्डर पर लगने वाले कटीले तार और जालियों का निर्माण भी इंदौर में हो रहा है। सांवेर रोड पर संचालित मौर्या वायरर्स के राजकुमार मौर्या ने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस सहित बीएसएफ, आर्मी, सीआरपीए और सहित बॉर्डर रोड ऑग्रेनाइजेशन (बीआरओ) को इंदौर से सप्लाय होता है। तीन लेयर में सुरक्षा फेंसिंग लगाई जाती है। इसके अलावा पहाड़ी इलाकों की बॉर्डर से जुड़े पहाड़ों पर सुरक्षा के लिए लगने वाली जालियां भी इंदौर में बनाई जा रही है। कई क्षेत्रों में नदियों का बहाव रोकने या परिवर्तित करने के लिए सेना पानी में जाली लगा पत्थर लगाती है, उसका उत्पादन भी इंदौर में किया जा रहा है। कंपनी की पीथमपुर, देवास और भिलाई में भी फैक्ट्रियां हैं।
Published on:
27 Jan 2022 12:09 pm
बड़ी खबरें
View Allइंदौर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
