
Air Quality Index : इंदौर ने आबोहवा से प्रदूषण कम करने के लिए 100 करोड़ खर्चे, लेकिन कम नहीं हुआ PM-2.5
संदीप पारे
इंदौर. दुनिया में सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की सूची में इंदौर का नाम भले ही थोड़ा नीचे आया हो, लेकिन राष्ट्रीय एयर क्वालिटी सुधार कार्यक्रम के 100 करोड़ खर्च करने के बाद भी हम खतरनाक कण पीएम-2.5 की मात्रा में कमी नहीं ला सके हैं। दुनिया के 6475 शहरों की एयर क्वालिटी रैंकिंग में हमारा नंबर 137वां है। विडंबना है, तीन साल के प्रयास के बाद भी हवा में पीएम-2.5 तय मानक से 9 गुना ज्यादा है। 2021 में सालाना औसत 45.5 रहा, जो 2020 के औसत 40 से ज्यादा है। बता दें, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में हवा में खतरनाक कण पर्टिक्युलेटेड मैटर (पीएम-2.5) के न्यूनतम मानक को 10 से घटाकर 5 माइक्राे ग्राम कर दिया है।
रिपोर्ट हमारे लिए इसलिए अहम
पीएम-2.5 ही नहीं, संसद में पेश रिपोर्ट में पीएम-़10 की मात्रा कम करने में भी इंदौर असफल रहा है। एक साल में इसकी मात्रा 91 से बढ़कर 96 माइक्रो ग्राम हो गई है। नेशनल एयर क्वालिटी मिशन में हवा की गुणवत्ता सुधार के लिए इंदौर को 100 करोड़ रुपए दिए गए थे। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक अन्य प्रोजेक्ट भी नगर निगम व प्रदूषण विभाग के साथ चल रहा है।
इसलिए बदले मानक
डब़्ल्यूएचओ ने कहा है, दुनिया में प्रदूषण से हो रही मौतों में सबसे बड़ा कारण पीएम-2.5 है। कोरोना अध्ययनकर्ताओं का भी कहना है, यह कण वायरसजनित बीमारियों को तेजी से फैलाते हैं। संगठन ने मानक में बदलाव 15 साल बाद किया है।
प्रदूषण बढ़ने की वजह
रैंकिंग जारी करने वाली एजेंसी का कहना है, भारत के शहरों में इसकी बड़ी वजह वाहनों से निकलने वाले खतरनाक उत्सर्जन हैं। इसमें सबसे ज्यादा मात्रा पीएम-2.5 की होती है। इसके अलावा इंडस्ट्री, कोल उत्सर्जन, बायोमास व खेतों में पराली जलाना भी कारण हैं। रिपोर्ट में उल्लेख है, 2021 में 40 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत का सीधा कारण पीएम-2.5 रहा है।
प्रदेश के 13 शहर शामिल
रैंकिंग के लिए किए गए दो-तीन साल की िस्थतियों और वायु प्रदूषण के आंकड़ों का अध्ययन किया गया। प्रदेश के 13 शहरों को रैंकिंग में शामिल किया है। सबसे ज्यादा प्रदूषण सिंगरौली, ग्वालियर व पीथमपुर में है। इसके बाद इंदौर का नंबर है। ग्वालियर व सिंगरौली तो सबसे ज्यादा प्रदूषित 100 शहरों में हैं।
पीएम-2.5 क्यों
विशेषज्ञों के अनुसार पीएम-2.5 ऐसा कण है, जो सीधे फेफड़ों को प्रभावित करता है। साथ ही रक्त में घुल जाता है।
प्रदूषण का बड़ा कारण
वाहनों से निकल रहे खतरनाक उत्सर्जन व पराली जलाना
नियंत्रण एजेंसियों पर बड़ा सवाल
करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी कागजी साबित हो रहे प्रयास
इंदौर की बड़ी चुनौती
वाहनों की संख्या में कमी लाना और सुगम ट्रैफिक व्यवस्था बनाना
प्रशासन कर रहा प्रयास
वाहनों के प्रदूषण की जांच के लिए प्रत्येक पेट्रोल पंप पर एक माह में पीयूसी स्थापित करने के निर्देश दिए हैं।
सियागंज व सघन ट्रैफिक क्षेत्र में पीयूसी फेल वाहनों के रजिस्ट्रेशन निरस्त होंगे।
शहर के आसपास गेहूं-चने की फसल काटी गई है। किसान पराली या नरवाई को जलाते हैं। प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। कृषि विभाग को किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए हैं।
चौराहों पर इंजन बंद अभियान चला रहे हैं।
Published on:
25 Mar 2022 02:02 am
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