
Digital Arrest Big News
Digital Arrest : वर्ष 2024 में जिस वारदात ने लोगों का सुख चैन छीना वह है डिजिटल अरेस्ट। अखबार की दुनिया में केवल ‘पत्रिका’ ने इससे निपटने के लिए पाठकों को तकनीकी गुर सिखाए। उन्हें भरोसा दिलाया कि वे जब तक पत्रिका के अभियान से जुड़कर इससे जुड़ी खबरें पढ़ते रहेंगे, कोई गिरोह उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता। पाठकों ने रक्षा कवच अभियान को सराहा। डिजिटल अरेस्ट को अंजाम देने वाले ठगों की हर चाल नाकाम कर पाए। एक बार फिर डिजिटल अरेस्ट के झांसे में एक युवती आ गई। अधिकारियों ने जब उनसे पूछा की वे क्या करती है और कहां रहती है तो जवाब था कि मुंबई रहती है और फाइव स्टार होटल में जॉब करती है।
अधिकारी ने पूछा कि अखबार पढ़ती हैं तो उन्होंने इनकार कर दिया। हालांकि उनकी शिकायत को सुना और ठगों के खातों में गए पैसा रिकवर करने के प्रयास किए। कुछ देर चली कार्रवाई में 2 लाख रिकवर भी हो गए।
आपने सुना और पढ़ा होगा कि अधिकांश डिजिटल अरेस्ट वारदात में ठगों ने मलेशिया जाने वाले पार्सल में अवैध ड्रग्स और दस्तावेज मिलने की बात कही। ठगों ने फिर वारदात का तरीका बदल लिया। क्राइम ब्रांच एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया, मुंबई निवासी युवती ने डिजिटल अरेस्ट ठगी की शिकायत की है। वह इंदौर स्थित अपने घर आई थी। उन्होंने बताया कि फेडएक्स कॉरियर सर्विस कर्मचारी बन ठगों ने उनसे संपर्क किया। उनके नाम का ईरान देश (पहले मलेशिया के नाम लेते थे) भेजे जाने वाले पार्सल में एमडी ड्रग्स मिलने और मुंबई एयरपोर्ट पर कस्टम अधिकारियों ने उक्त पार्सल को जब्त करना बताया।
पार्सल में 350 ग्राम एमडीएमए ड्रग्स, लैपटॉप व अन्य सामग्री व आधार कार्ड का पार्सल से जुड़ा होना बताया। जैसे ही युवती ने कहा कि मेरे आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल हुआ है तो ठगों ने खेल शुरू कर दिया। कहा कि आपको शिकायत मुंबई साइबर क्राइम में करना होगी। वहां झूठा कॉल ट्रांसफर किया तो फर्जी अधिकारी ने बात की।
कार्रवाई का डर दिखा मुंबई आने की बात कही गई। पीड़िता ने आने से इनकार किया तो शिकायत ऑनलाइन दर्ज कराने और स्काइप वीडियो कॉल पर जुड़ने का कहा। स्काइप आइडी को मुंबई साइबर सेल डिपार्टमेंट के नाम से दर्शाया। स्क्रीन ब्लैंक रही। सुनवाई शुरू हुई तो पीड़ित का आधार कार्ड 2 बैंक खातों से जुड़ना बताया। उक्त खातों में करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाया। हिस्सा मिलने की बात भी कही गई। पीड़िता इनकार करती रही। फर्जी अधिकारी कार्रवाई का डर दिखाते रहे।
ठग कहने लगे कि हम पीसीसी सर्टिफिकेट यानि आपके निर्दोष होने का सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं। आई मोबाइल ऐप डाउनलोड करवा लोन सेक्शन कराया। फिर कहा कि आरबीआई अधिकारी पैसों की जांच करेंगे। आइपी एड्रेस ट्रैक करेंगे। फिर खाते से जांच के नाम पर 4.89 लाख से अधिक राशि ट्रांसफर करवा ली। मेल आइडी मांगी। 15 मिनट बाद कॉल करने को कहा और फिर संपर्क तोड़ दिया।
सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर लाखों ठगने के मामले में क्राइम ब्रांच ने पहली बार टेलीग्राम के चाइनीज ग्रुप का आइपी एड्रेस ट्रैक करने में सफलता हासिल की है। हांगकांग से इस ग्रुप का संचालन हो रहा था। सरगना वहीं से मेडिकल छात्र को निर्देश देकर ठगी की राशि को क्रिप्टो में कन्वर्ट कर चाइना वॉलेट में ट्रांसफर करवा रहा था। इस काम के लिए मोटा कमीशन दे रहा था। दिसंबर 2024 में इंजीनियर युवक के डिजिटल अरेस्ट होने के संबंध में शिकायत मिली। पीड़ित के घर एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया पहुंचे। देखा कि फर्जी अधिकारी बेल के नाम पर पैसा मांग रहा था। खुद एडिशनल डीसीपी ने लाइव एंट्री मारी थी।
स्क्रीन पर ठग को कहा था कि मेरा चेहरा नोट कर ले। तू दिल्ली, हैदराबाद जहां भी होगा तुझे उठाऊंगा। तब ठग ने कॉल काट दिया। तकनीकी जांच में जोधपुर से मेडिकल छात्र विक्रम विश्नोई पकड़ाया। उसने छात्र से ठगे पैसों को चाइनीज ठग को मोटे कमीशन में पहुंचाने की बात उजागर की थी। ठग की पहली बार तस्वीर सामने आई। पैसे को बाइनेंस की मदद से क्रिप्टो में कन्वर्ट किया जाता। आरोपी छात्र उक्त क्रिप्टो करेंसी को चाइनीज वॉलेट में ट्रांसफर कर देता। छात्र का टेलीग्राम चाइनीज ग्रुप से कनेक्शन हुआ। इसमें उसका परिचय टीएलएक्स नाम के चाइनीज व्यक्ति से हुआ था।
Updated on:
14 Jan 2025 09:56 am
Published on:
14 Jan 2025 09:55 am
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