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एमवाय में आईवीएफ सेंटर की योजना तबादलों के साथ कागजों में ही तोड़ गई दम

आयुष्मान योजना में शामिल होने के बाद भी नहीं मिल रहा इंदौर में लाभ

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इंदौर

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Hussain Ali

Apr 09, 2019

इंदौर. आयुष्मान योजना के तहत हाल ही में संतानहीनता को शामिल कर कृत्रिम गर्भधारण का इलाज मुहैया कराने का दावा किया गया है। प्रदेश में अब तक किसी सरकारी अस्पताल में यह इलाज उपलब्ध नहीं है। एमवाय अस्पताल में आईवीएफ सेंटर खोलने के लिए एक साल पहले डेढ़ करोड़ रुपए का बजट पास किया गया था, लेकिन अधिकारियों के तबादलों के साथ योजना कागजों में ही दम तोड़ गई। मालूम हो, जनवरी २०१८ में एमजीएम मेडिकल कॉलेज में हुई कार्यपरिषद बैठक में आईवीएफ की सुविधा शुरू करने के लिए डेढ़ करोड़ का बजट स्वीकृत कर महिला रोग व प्रसूति विभाग को काम शुरू करने के लिए निर्देश तत्कालीन एसीएस राधेश्याम जुलानिया ने दिए थे। बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद फाइल भोपाल भेजी गई थी, जिसे स्वीकृृति भी मिल गई। इसके बाद तत्कालीन डीन डॉ. शरद थोरा के रिटायर्ड होने व एसीएस जुलानिया के प्रतिनियुक्ति पर केन्द्र में जाने के बाद योजना भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई। हाल ही में गरीब परिवारों को ५ लाख तक का केशलैस इलाज मुहैया कराने की आयुष्मान भारत योजना में १३५० की जगह १३९९ बीमारियों को कवर किया गया। नई सूची में संतानहीनता का इलाज भी शामिल है। जिला तो दूर प्रदेश के किसी सरकारी अस्पताल में आईवीएफ की सुविधा नहीं है।

- ईसी बैठक में आईवीएफ सेंटर के लिए डेढ़ करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत होने की जानकारी फिलहाल मुझे नहीं है। मैं इस संबंध में जानकारी निकालती हूं। हमने एमटीएच महिला अस्पताल पूरी तरह चालू होने पर एमवाय की पहली मंजिल पर सेंटर शुरू करने का निर्णय लिया है।
डॉ. ज्योति बिंदल, डीन एमजीएम मेडिकल कॉलेज

- फिलहाल इंदौर से किसी आईवीएफ सेंटर ने रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है, हमने अपने स्तर पर उन्हें रजिस्ट्रेशन के लिए जानकारी दी है। अरबिंदो अस्पताल को लेकर आ रही समस्या को लेकर बुधवार को भोपाल में होने वाली बैठक में चर्चा की जाएगी।
डॉ. धमेन्द्र जैन, नोडल अधिकारी आयुष्मान योजना, इंदौर

इंदौर में एक ही अस्पताल, उसमें भी सुविधा नहीं
इंदौर में आयुष्मान योजना से 5 नेत्र अस्पतालों के अलावा अरबिंदो मेडिकल कॉलेज, इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, यूनिक अस्पताल और मेडीस्क्वेयर अस्पताल लिंक हैं। अरबिंदो अस्पताल में ही आईवीएफ सेंटर चल रहा है। अस्पताल के प्रवक्ता राजीवसिंह ने बताया कि हम दो दिन से आईवीएफ के मरीजों के रजिस्ट्रेशन के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब तक इस बीमारी का कोड सॉफ्टवेयर द्वारा स्वीकार नहीं हो रहा है। इस कारण प्रकरण रजिस्टर्ड नहीं हो पा रहे हैं।