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Digital Arrest : डर का खेल है ‘डिजिटल अरेस्ट’, एमपी में कई लोग शिकार

Digital Arrest : डिजिटल अरेस्ट की क्यों हो रही है चर्चा, एमपी में कई लोग हुए शिकार, जानिए क्या है डिजिटल अरेस्ट का खेल...

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Digital Arrest : इसी साल मई में इंदौर की महिला सॉफ्टवेयर इंजिनियर को आतंकी गतिविधियों के मामले में फंसाकर 12 लाख रुपए की ठगी की गई। वहीं 4 अक्टूबर को इंदौर में एक साइंटिस्ट को महिला उत्पीड़न मामले में फंसे होने का डर दिखाकर 71 लाख रुपए ठगे गए। इन सभी मामलों में एक बात कॉमन है, कि इन सभी पीड़ितों को 'डिजिटल अरेस्ट' किया गया था।

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जानिए क्या है डिजिटल अरेस्ट ?

मध्यप्रदेश समेत पूरे देश में इस समय साइबर क्राइम एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। आए दिन शातिर ठग आम लोगों से लेकर हाई प्रोफाइल लोगों तक को अपना शिकार बना रहे है। इस दौरान डिजिटल अरेस्ट(what is digital arrest)की खूब चर्चा हो रही है। बता दें कि डिजिटल अरेस्ट ऑनलाइन ठगी का एक नया तरीका है। इसके जरिए इंदौर के कई बड़े लोगों को लाखों-करोड़ों रुपए का चूना लग चूका है।

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डर पैदा करके ठगी

बता दें कि डिजिटल अरेस्ट(Digital Arrest) के दौरान ठग अपने शिकार के मन में डर पैदा कर देते है और उन्हें यकीन दिला देते है कि, जो भी उन्हें बताया जा रहा है वही सच है। उनके या उनके किसी परिजन के साथ बुरा हो चूका है या होने वाला है या वह पुलिस, सीबीआई या ईडी की जांच के घेरे में फंस चुके है। इसके बाद ठगों का शिकार डरकर मान लेता है कि अगर कॉलर का कहना नहीं माना तो वह गिरफ्तार हो जाएगा या फिर उसके साथ बहुत कुछ बुरा होगा।

ऐसे करें डिजिटल अरेस्ट की पहचान

- डिजिटल अरेस्ट(what is digital arrest) के मामले में शिकार के पास फोन कॉल आता है, जिसमे उनके या फिर उनके किसी परिजन का अवैधानिक कामों( ड्रग, मनी लॉन्ड्रिंग, महिला उत्पीड़न, सेक्स रैकेट, आतंकवादी गतिविधियां आदि) में फंसे होने की बात कहकर गिरफ्तार करने की धमकी दी जाती है।

- डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुए लोगों को नकली ऑफिसर आईडी, पुलिस स्टेशन या फिर सीबीआई ऑफिस का माहौल दिखाकर यकीन दिला दिया जाता है कि ये पूरी कार्रवाई असली है।

- ठग डिजिटल अरेस्ट के दौरान अपने शिकार को पूरे समय उनका फोन कैमरा और माइक्रोफोन चालू रखने के लिए कहा जाता है ताकि वह उन्हें गिरफ़्तारी की धमकी दे देकर उनके मन में डर पैदा करते रहे।

- झूठी जांच के दौरान शिकार से पैसे लूटे जाते हैं।

डिजिटल अरेस्ट कोई कानून नहीं

बता दें कि सरकार ने ये बात साफ कर दिया है कि भारतीय कानून में कही पर भी डिजीटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं दिया गया है। साथ ही किसी को भी वीडियो या माइक्रोफोन चालू रखने के लिए दवाब नहीं बनाया जा सकता है।

ऐसे करें बचाव

गृह मंत्रालय के अनुसार, ' ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को मदद के लिए तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर मामले की जानकारी देनी चाहिए। इसके आलावा www.cybercrime.gov.in पर घटना की रिपोर्ट करना चाहिए।'