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जिला आबकारी अधिकारी ने रिश्तेदारों के नाम खरीदी करोड़ों की चल-अचल सम्पत्ति, जांच जारी

जिला आबकारी अधिकारी ने रिश्तेदारों के नाम खरीदी करोड़ों की चल-अचल सम्पत्ति, जांच जारी

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lokayukt raid

इंदौर. जिला आबकारी अधिकारी (डीईओ) ने अपनी अनुकम्पा नियुक्ति के समय आवेदन में भले ही आर्थिक स्थिति खराब बताई हो, लेकिन 16 साल बाद करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन बैठा है। जहां अनुकम्पा नियुक्ति में अपने रसूख से डीईओ का पद हासिल किया। वहीं, रिश्तेदारों के नाम करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति तक खड़ी कर दी। जांच में कुछ नई संपत्तियां सामने आई हैं।

पत्रिका के पास उनकी संपत्ति से संबंधित सभी दस्तावेज उपलब्ध है, जो डीईओ पराक्रम सिंह चंद्रावत ने पिछले १६ सालों में खरीदी है। लोकायुक्त ने भी छापामार कार्रवाई करते हुए भी ऐसी कई चल-अचल सम्पत्तियों के दस्तावेज भी जब्त किए हैं। डीईओ के १६ साल के पराक्रम कर किस तरह बेशकीमती जमीनें और मकान के साथ कार अपने रिश्तेदारों के नाम खरीदी उसकी संपत्ति की जांच में लोकायुक्त टीम भी जुटी हुई है। आरटीआई कार्यकर्ता राजेंद्र के गुप्ता ने लोकायुक्त को शिकायत में बताया था, २२ फरवरी १९९६ में पराक्रम के पिता नरेंद्र सिंह चंद्रावत की मृत्यु हुई। वर्ष २००१ में पराक्रम ने अनुकम्पा नियुक्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। इसमें परिवार की आर्थिक स्थिति खराब बताई गई। राज्य शासन ने पराक्रम की अनुकम्पा नियुक्ति ३ सितंबर २००१ को की। १९ दिसंबर २००२ तक कार्यालय प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रथम नियुक्ति वर्ष २००१-०२ में उनका वेतन ८ हजार रुपए था। अनुकम्पा नियुक्ति के लिए तत्कालीन उप सचिव विधि मप्र शासन केसी मनाना ने अपने पत्र दिनांक एक जनवरी २००१ में स्पष्ट लिखा है कि पराक्रम के परिवार को आकस्मिक वित्तीय सकंट से उबारने के लिए अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। वर्ष २००१ में पराक्रम के पास कोई स्थायी ठिकाना भी नहीं था, क्योंकि अनुकम्पा नियुक्ति के आवेदन में अपना पता प्रताप इंटर कॉलेज हाईकोर्ट के पीछे लश्कर ग्वालियर लिखा था। इसमें कोई मकान नंबर तक अंकित नहीं है। उस समय उसके पास सिर्फ एक बुलेट एमपी ०९ वायजी २२२ थी।

अपात्र पराक्रम को दिया डीइओ का पद
बिना लोक सेवा आयोग की परीक्षा दिए अपात्र पराक्रम सिंह चंद्रावत को सरकार ने सीधे डीईओ के पद पर अनुकम्पा नियुक्ति दी। जो पढ़ाई में तृतीय श्रेणी में ही पास होता रहा है। पीएससी से गजेटेड पोस्ट के पद पर सीधे नियुक्ति देने का यह मामला अपने आप में अनूठा है। नियुक्ति से भी स्पष्ट होता है कि अपने रसूख का उपयोग कर किस तरह से बड़ा पद और पोस्टिंग हथियाई गई है।

कई महंगी गाडिय़ां भी खरीदी
माता और पत्नी के नाम से संचालित पेट्रोल पम्प के नाम से हायर रेंज काले कलर की खरीदी। मर्सीडिज ( एमपी ०९- सीएक्स ०२२२) करोला, अलटीज ( एमपी ०९- सी आर ४२२२), ऑडी क्यू५ (एमपी ०९- सीएन ४२२२) इनोवा कार (एमपी ०९-सीटी ५२२६) व अन्य लग्जरी वाहन खरीदे गए। इनोवा कार जिसमें पराक्रम घूमते हैं, वह भी विभाग से किराए के रूप में मोटी राशि वसूलते हैं। यह कार मुकेश पिता बालमुकुंद चौधरी के नाम रजिस्टर्ड है।

इस तरह बढ़ती गई सम्पत्तियां
2002 - सयाजी चौराहा स्थित पेट्रोल पम्प माता पुष्पलता के नाम से शुरू किया, जिनकी खुद की आय १० हजार रुपए साल थी। पम्प के लिए उनके चाचा व पूर्व कृषि मंत्री स्वर्गीय महेंद्र सिंह कालूखेड़ा ने बस टर्मिनल के लिए आरक्षित भूखंड में से हिस्सा दिलवाया। जो स्कीम नंबर ५४ पीयू ४ के भूखंड क्रमांक ३०७ बनाया गया।
२००२ - स्कीम नंबर ७४ के भूखंड क्रमांक ३४ बीजी अपनी माता के नाम से खरीदकर यहां पर नियमों के विरूद्ध आलीशान कोठी बनाई। नगर निगम की अनुमति से अधिक निर्माण किया।
२००७ - पत्नी के नाम से सत्यसाईं चौराहा के पास स्थित बीसीएम हाइट्स में दुकान नंबर यूजी ५ खरीदी। आईडीए १३६ में भी भूखंड खरीदा जिसका अलाटमेंट लेटर में नंबर नहीं है।
२००८ - अपनी पत्नी विभावरी के नाम से आईडीए की स्कीम नंबर १५९ का भूखंड क्रमांक ८ प्राप्त किया। इस प्लॉट को प्राप्त करने के लिए पराक्रम ने गवाह आदि में हस्ताक्षर भी किए है।
२००८ - अपनी पत्नी के नाम से शहर की महंगी बहुमंजिला भवन ट्रेड सेंटर में प्रकोष्ठ क्रमांक यूजी २८ खरीदी।
एमआर १० स्टार चौराहा स्थित पेट्रोल पम्प को स्थापित करने के लिए पराक्रम ने अपनी पत्नी को ५ लाख का नगद ऋण भी दिया।
अपनी माता पुष्पलता के नाम से नामली गांव जिला रतलाम में खसरा नंबर १०५६- ४-१ खरीदी।
रिश्तेदार के नाम से स्कीम नंबर ७४ का भूखंड क्रमांक ७७ डीएच व अन्य प्लॉट खरीदा।
व्यक्तिगत खर्च से लगातार दुबई, लंदन, फ्रांस सहित कई विदेश यात्रा और कीमती वस्तुएं खरीदी गईं। वहीं बच्चों के ऊपर शिक्षा सहित अन्य खर्च में करोड़ों खर्च किए।
ग्राम कालूखेड़ा तहसील पिपलौदा जिला रतलाम में खसरा नंबर ४६-२, ५३, ३५०, ३५५-१ और ३५५-२ जमीनें है।
जावरा में ६ वेअर हाऊस, एक बेशकीमती जमीन खरीदी, जिस पर पैरामेडिकल कॉलेज बनाया।
जावरा में गोडाऊन है, जिसे आबकारी विभाग को ही शराब के वेअर हाउस के लिए किराए पर दिया।
स्कीम नंबर ५४ में भूखंड क्रमांक बीएफ ४५ खरीदा , जो इनके रिश्तेदार बलवंत सिंह के नाम से है।
नौकर जमनालाल, छोटूलाल व अन्य के नाम से खेती की जमीने खरीदी। रिश्तेदार अनुसूइया निवासी कुशलगढ़ सहित अन्य के नाम से कृषि आधारित जमीन खरीदी। इन सभी के दस्तावेज उपलब्ध हैं।

आयकर ने तेज की जांच
22 बैंक खातों की जांच, एक से कुछ दिन पहले ट्रांसफर हुए 14 लाख
धार के जिला आबकारी अधिकारी पराक्रम चंद्रावत के यहां लोकायुक्त छापे में परिवार के 22 बैैंक खातों की बात सामने आई थी। अभी मिली एक बैंक खाते की डिटेल से 14 लाख रुपए पिछले दिनों दूसरे खाते में ट्रांसफर करना पता चला है। इस बीच लोकायुक्त की सूचना पर आयकर विभाग के अफसरों ने जब्ती की जानकारी क्रॉसचेक करना शुरू कर दी है। हालांकि पराक्रम द्वारा दी गई जानकारी की लोकायुक्त टीम भी जांच कर रही है। एसपी दिलीप सोनी के निर्देश पर चल रही जांच में पराक्रम को वेतन भत्तों से अब तक करीब 90 लाख रुपए मिलना पता चला है, जबकि सामने आई संपत्ति कई गुना ज्यादा है। सभी की सूची की जानकारी आयकर के साथ ईडी को भी भेज दी है। डीएसपी एसएस यादव व संतोष भदौरिया की टीम ने बैंक खातों की जानकारी मांगी है। लोकायुक्त ने पराक्रम को हटाने के लिए पत्र तो काफी पहले लिख दिया है, लेकिन विभाग ने इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी किया है। पराक्रम की संपत्तियों को लेकर रजिस्ट्रार विभाग से भी जानकारी का इंतजार किया जा रहा है।