
इंदौर . रात में एमवाय अस्पताल के हाल बेहाल हो जाते हैं। मरीजों के परिजन के साथ ही असामाजिक तत्व भी परिसर में सोए रहते हैं। परिसर के बाहर का दृश्य भी लगभग ऐसा ही रहता है।
मरीजों के परिजन को रात में सोने के लिए रैन बसेरे या धर्मशाला में भेजना चाहिए लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से एमवाय में ही इनका जमावड़ा लगा रहता है।
एमवाय अस्पताल में पूरे संभाग के मरीज भर्ती होते हैं। अस्पताल के वॉर्डों के बाहर वाले कॉरिडोर और बिल्डिंग के बाहर तक बड़ी संख्या में लोग सोए रहते हैं, जिसमें मरीजों के परिजन भी होते हैं।
अस्पताल में रात के समय हालत यह हो जाती है कि निकलने का रास्ता भी नहीं मिलता। इमरजेंसी के समय मरीजों को शिफ्ट करने में और अधिक दिक्कत होती है। मरीजों के परिजन के अलावा बाहर वाले परिसर में असामाजिक तत्व भी डेरा जमाए रहते हैं।
भीड़ से रास्ते बंद, मरीज को ले जाना भी मुश्किल
अस्पताल के पीछे निगम का रैन बसेरा और अस्पताल की धर्मशाला भी है जिसमें नाममात्र के शुल्क पर लोगों को ठहराया जा सकता है लेकिन अधिकारी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं करते जिससे कि अटेंडरों को वहां सोने के लिए भेजा जा सके।
अस्पताल में कई लावारिस लोग भी अपना डेरा जमाए रहते हंै, कई बार तो बीमारी के चलते कई बुजुर्ग परिसर में दम तोड़ देते हैं। मरीजों के परिजन की आड़ में असामाजिक तत्व भी परिसर में सोते रहते हैं। इससे यहां कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
रात 12 बजे का नजारा
कैज्युल्टी के बाहर वाले ग्राउंड में नीचे जमीन पर कई लोग सोए थे, इसमें कई लोगों का मरीजों से कोई लेना देना नहीं था।
इसके अलावा कई वॉर्डों और अस्पताल के गलियारों में बड़ी संख्या में लोग सोए, थे कहीं कहीं तो निकलने की भी जगह नहीं बची थी।
अस्पताल के मुख्य गेट और बाहर वाली सड़क पर भी लोग सोए थे जिसमे अटेंडर कम ही थे।
डॉक्टरों और अधिकारियों के चेंबर के गेट पर भी लोग नींद निकालते हुए नजर आए।
Published on:
20 Nov 2017 10:31 am
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