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विधायक का सवाल : मंदिर, मस्जिद, चर्च में अंतर क्यों..?

पर्यटन मंत्री से मांगी जानकारी, बताओं - मंदिर में प्रशासक तो मस्जिद-चर्च में क्यों नहीं  

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विधायक का सवाल : मंदिर, मस्जिद, चर्च में अंतर क्यों..?

विधायक का सवाल : मंदिर, मस्जिद, चर्च में अंतर क्यों..?

इंदौर। भारत एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है.....ये पक्तियां हमें बचपन से सिखाई-पढ़ाई जाती है, लेकिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के एक सवाल ने बवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने विधानसभा में पूछ लिया है कि मंदिरों में प्रशासक के तौर पर कलेक्टर हैं तो मस्जिद व चर्च में क्यों नहीं बनाए जा सकते हैं?

जल्द ही विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होगा, जिसको लेकर विधायकों ने सवाल पूछना शुरू कर दिए हैं। ये सवाल अब विभागों के पास पहुंचना शुरू हो गए हैं। एक गंभीर सवाल पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व भाजपा विधायक डॉ. सीताशरण शर्मा ने पूछ लिया है। उत्तर भी अपने आप में बड़ा साबित होगा, जो सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े कर सकता है। एक बड़ी विसंगति निकलकर सामने आ सकती है, जिसको लेकर भविष्य में मंथन भी हो सकता है।
डॉ. शर्मा ने प्रदेश की पर्यटन मंत्री से पूजास्थलों के शासकीय प्रशासकों की जानकारी से संबंधित सवाल पूछा है। कहना है कि प्रदेश में ऐसे कितने मंदिर हैं, जिनके प्रशासन कलेक्टर या शासकीय अधिकारी हैं। जिलावार संख्यात्मक जानकारी देते हुए बताएं कि किन प्रावधानों के अंतर्गत मंदिरों के प्रशासक कलेक्टर या सरकारी अधिकारी नियुक्ति या मनोनीत किए जा सकते हैं। उसके बाद उन्होंने पूछा कि कितने चर्च, मस्जिद, कब्रिस्तान व दरगाह हैं, जिनके प्रशासक कलेक्टर या सरकारी अधिकारी हैं? जिलेवार संख्यात्मक जानकारी दें।

मांगी जानकारी
आखिरी सवाल में उन्होंने जानकारी मांग ली है कि क्या यह सच है कि चर्च, मस्जिद, दरगाह के प्रशासक कलेक्टर या सरकारी अधिकारी नहीं बनाए जा सकते हैं? यदि हां तो किन प्रावधानोंं के अंर्तगत? शासन की दृष्टि में मंदिर, मस्जिद व चर्च की देखरेख करने वालों में अंतर का क्या कारण है? इन सवालों का जवाब देना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।