-सितंबर के 17 दिन में बरसा 22 इंच पानी-साल 1954 में हुई थी 30 इंच बारिश
इंदौर। इस मानसून सीजन में सितंबर में 17 दिन बारिश हुई और 22 इंच पानी बरसा। सितंबर में सबसे अधिक 30 इंच वर्षा 1954 में हुई थी। इस साल 30 सितंबर तक 51 इंच वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य से 48 प्रतिशत अधिक है। एक्सपर्ट का कहना है कि पर्यावरणीय असंतुलन के कारण मानसून का क्रम साल-दर-साल बिगड़ता जा रहा है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, खेती के लिए 10 जून से 15 जुलाई तक पर्याप्त वर्षा की आवश्यकता होती है, लेकिन जून में 8 दिन ही बारिश हुई। जुलाई में 27 दिन में 21 इंच वर्षा खेती और भूजल स्तर के लिए फायदेमंद रही। अगस्त में भले ही 19 दिन बरसात हुई, लेकिन केवल 2 इंच पानी बरसा। इससे कुएं, तालाब नहीं भर सके और किसान चिंतित रहे।
अब सर्दी की दस्तक...
मौसम विभाग के अनुसार, आमतौर पर दक्षिण-पश्चिमी मानसून अक्टूबर के पहले सप्ताह में इंदौर से प्रस्थान कर जाता है। इससे दिन ज्यादा गर्म और रातें ठंडी होने लगती हैं। इस माह बंगाल की खाड़ी से चक्रवाती तूफान आंध्र तट को पार कर इंदौर को कभी-कभार प्रभावित करता है। इस माह का अधिकतम तापमान 32.8 तथा न्यूनतम तापमान 18.2 डिग्री सेल्सियस होता है।
ऐसा रहा अक्टूबर का तापमान
-22 अक्टूबर 2000 को अधिकतम तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस रहा।
-22 अक्टूबर 1999 को न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री था।
मानसून चलित प्रक्रिया है, जो पर्यावरण के आधार पर काम करता है। वायु प्रदूषण, पेड़ों की कटाई, खनिज उत्खनन जैसे कई कारणों से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। दिखावे से काम नहीं चलेगा। पर्यावरण को नुकसान से होने वाले दुष्परिणाम हमें ही झेलने पड़ेंगे।
प्रो. आरएन सिंह, विभागाध्यक्ष, स्कूल ऑफ एनर्जी एवं पर्यावरण, डीएवीवी