
Mosquito drug not purchased for 2 years
नितेश पाल@ इंदौर. स्वच्छता में नंबर वन इंदौर स्वस्थ इंदौर नहीं बन पा रहा है। 272 वर्ग किलोमीटर में फैले शहर में बीमारियों का मूल कारण मच्छरों को खत्म करने के लिए संसाधन नहीं हैं। मच्छरों को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के मलेरिया विभाग की है, लेकिन महज 50 कर्मचारियों, 2 बड़ी, 12 छोटी मशीनों के भरोसे नगर निगम द्वारा शहर में मच्छरों से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इंदौर से आगे है दूसरे नंबर पर रहा भोपाल : सफाई मामले में इंदौर से आठ नंबरों से पिछडऩे वाला भोपाल शहर जनता के स्वास्थ्य के मामले में इंदौर से बेहतर है। वहां मच्छरों के लार्वा खत्म करने के लिए 200 हैंडवाटर फॉङ्क्षगग मशीनें चल रही हैं। लार्वा न पैदा हों इसके लिए लगातार घरों, संस्थानों आदि की जांच होती है। भोपाल कलेक्टर ने आदेश जारी कर रखे हैं, यदि किसी के घर में दूसरी बार मच्छरों का लार्वा मिलता है तो चालानी कार्रवाई करेंगे।
20 नवंबर बाद होगी और बुरी स्थिति : नगर निगम शहर में मच्छर खत्म करने के लिए दो धुआं मशीनें तो चला रहा है, लेकिन 20 नवंबर के बाद इन्हें नहीं चला पाएगा। ठंड बढऩे के दौरान हवा का दबाव जमीन पर ही रहता है। हवा का घनत्व बढऩे से धुएं में मौजूद दवाइयां फैलने के बजाय एक ही जगह पर रह जाएंगी, जिससे कई और बीमारियां बढऩे की आशंका रहती है। फरवरी तक इन मशीनों को बंद करने से मच्छरों पर नियंत्रण और ज्यादा परेशानी का कारण बन जाएगा।
लापरवाही साल-दर-साल
नहीं खरीदी दवा : धुआं मशीनों के जरिए मच्छरों को मारने के लिए स्वास्थ्य विभाग पायरेथ्रम दवा नगर निगम को उपलब्ध करवाता है, जबकि लार्वा मारने की दवा निगम खरीदता है। आखिरी बार लार्वा खत्म करने की दवा दो साल पहले खरीदी गई थी जो अभी तक चल रही है।
मशीनें : मच्छर मारने के लिए निगम के पास तीन धुआं मशीनें हैं, जिनमें से दो ही चल रही हैं। ये चार-चार घंटे की तीन शिफ्टों में चल रही हैं। 12 वाटर फॉगिंग मशीनों से लार्वा मारने की दवा का छिडक़ाव नालियों, खुले प्लॉटों पर किया जाता है। लगभग 100 सीकर मशीनें वार्डवार अलॉट हैं।
क्रूड ऑइल : नदी-नालों, ओपन गटर में मच्छरों को रोकने के लिए निगम क्रूड ऑइल भी डालता है। हर साल 30 हजार लीटर क्रूड ऑइल खरीदा जाता है। बीते साल खरीदा गया क्रूड ऑइल अभी तक खत्म नहीं हुआ है।
लार्वा पर ध्यान जरूरी
हमारे पास वैसे तो पर्याप्त संसाधन हैं। मच्छरों से ज्यादा जरूरी उनके लार्वा को मारना होता है। हम मशीनों से लगातार दवाइयों का छिडक़ाव कर रहे हैं, लेकिन जनता को भी लार्वा खत्म करने पर ध्यान देना होगा।
डॉ. अखिलेश उपाध्याय, प्रभारी, मलेरिया विभाग, नगर निगम
सावधानी ही उपाय
बारिश के बाद वायरल बीमारियां फैलने का सिलसिला नया नहीं है। पहले से सावधानियां बरती जातीं तो मच्छरजनित बीमारियों का कहर कम हो सकता था। शहर को मेडिकल हब के रूप में देखा जा रहा है। कौन सा वायरस सक्रिय है, इसको लेकर अब जाकर नमूने भेजे जा रहे हैं।
-डॉ. एमसी नाहटा, रिटायर्ड डीन, ग्वालियर मेडिकल कॉलेज
Published on:
03 Nov 2017 10:34 am
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