MP News: मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने छात्रों की मांग मानते हुए एमए (MA), एमएसडब्लू (MSW) और डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश नियम बदले हैं। अब बीए (BA) के साथ बीकॉम-बीएससी( BCom-BSc) वाले भी पात्र होंगे। (students elligible)
MP News: उच्च शिक्षा विभाग ने आखिरकार विद्यार्थियों की मांग को समझते हुए एमए (MA), एमएसडब्ल्यू (MSW) और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के नियमों में बदलाव कर दिया है। अब बीए के साथ बीकॉम और बीएससी करने वाले विद्यार्थी भी एमए जैसे लोकप्रिय कोर्स में प्रवेश ले सकेंगे। यह निर्णय बड़ी राहत लेकर आया है, लेकिन देरी के कारण हजारों विद्याथियों को एडमिशन प्रक्रिया के पहले दो राउंड में शामिल होने का मौका नहीं मिल सका। विद्यार्थी मांग कर रहे हैं कि सीएलसी राउंड को कम से कम 15 दिन बढ़ाया जाए, ताकि वे प्रवेश ले सकें। (students elligible)
शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने नया नियम लागू किया था, जिसके तहत सिर्फ बीए पास विद्यार्थी ही एमए में प्रवेश ले सकते थे और वह भी उन्हीं विषयों में जिनमें उन्होंने यूजी में मेजर विषय लिया हो। इससे बीकॉम और बीएससी करने वाले विद्यार्थियों के लिए एमए, एमएसडब्ल्यू और डिप्लोमा कोर्सेस के रास्ते बंद हो गए थे।
इंदौर सहित पूरे प्रदेश में हर साल 30 फीसदी विद्यार्थी बीकॉम और बीएससी से एमए में प्रवेश लेते रहे हैं, खासकर प्रतियोगी परीक्षाओं, स्कूल टीचिंग और सामाजिक क्षेत्र की नौकरियों की तैयारी के उद्देश्य से नियम ने कोर्सेस के संचालन पर भी संकट खड़ा कर दिया था। (students elligible)
एमएसडब्ल्यू ऐसा पाठ्यक्रम है, जिसकी मांग समाजसेवा, हेल्थ सेक्टर, एनजीओ और काउंसलिंग जैसे क्षेत्रों में बनी रहती है। पिछले नियम के तहत इसमें केवल बीएसडब्ल्यू पास विद्याथियों को ही प्रवेश देने की शर्त थी, जबकि प्रदेश के अधिकांश कॉलेजों में बीएसडब्ल्यू पाठ्यक्रम संचालित ही नहीं होता। इसीलिए बीए, बीकॉम, बीएससी पास विद्यार्थी जो सामाजिक क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहते थे, वो प्रवेश से वंचित हो रहे थे। (students elligible)
इंटीरियर और फैशन डिजाइनिंग जैसे डिप्लोमा कोर्सेस में पहले यूजी में संबंधित विषय अनिवार्य थे। बीए, बीकॉम और बीएससी में ऐसे विषय न होने से हजारों विद्यार्थी अयोग्य माने जा रहे थे। अब डिप्लोमा कोर्सेस में प्रवेश के लिए विषयगत पाबंदी हटाई गई है, जिससे युवाओं को रचनात्मक और रोजगारोन्मुख क्षेत्रों में अवसर मिलेंगे।
शिक्षाविद डॉ. मंगल मिश्र का कहना है कि प्रदेशभर में एमए की करीब 50 हजार सीटें हैं, जिनमें से पांच हजार सीटें केवल इंदौर में हैं। नियमों में बदलाव से अब इन सीटों को भरने की संभावना बढ़ी है, वरना पहले यह आशंका जताई जा रही थी कि अधिकांश सीटें खाली रह जाएंगी।
पत्रिका ने यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया इसके बाद शासन ने निर्णय पर पुनर्विचार किया और एमए कोर्स को फिर से सभी यूजी डिग्री धारकों (बीए, बीकॉम, बीएससी) के लिए खोल दिया है। एमएसडब्ल्यू और इंटीरियर डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग, कंप्यूटर एप्लीकेशन जैसे कोर्सेस में भी प्रवेश के द्वार खुल गए हैं।