
MP News: इंदौर जल्द ही मेट्रो की सवारी करता नजर आएगा, क्योंकि मेट्रो चलाने को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। बड़ी संख्या में आधुनिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं। मेट्रो के संचालन में सबसे अहम बिजली भी है। बड़ी मात्रा में लगने वाली बिजली की सप्लाय के लिए बिजली कंपनी ने विशेष व्यवस्था की है। बिजली का व्यवधान न हो, इसके लिए दो पैंथर लाइन से सप्लाय दी जाएगी। यदि मेट्रो को मौजूदा स्थान एयरपोर्ट, गांधी नगर से रोबोट चौराहे के बीच चलाया गया तो बिजली कंपनी के अनुसार मेट्रो को ढाई लाख से तीन लाख रुपए रोज की बिजली लगेगी।
इंदौर में मेट्रो ट्रेन के लिए ओवरहेड की बजाय थर्ड रेल से बिजली सप्लाय होगी। तीसरी पटरी सामान्य तौर पर पीले रंग की होती है, इसे तकनीकी भाषा में कंडक्टर रेल भी कहा जाता है। इंजन के पहिये के समीप ट्रेन के निचले हिस्से में एक भारी उपकरण लगा होता है, इसे शू फेज कहा जाता है। जिस तरह हमारे जूते शरीर का पूरा भार वहन करते हैं और चलने के दौरान पैर, अंगुलियों, अंगूठे की हिफाजत करते हैं, उसी तरह ट्रेन के पहियों के बीच शू फेज सेक्शन ही ट्रेन के लिए सारी बिजली ग्रहण करने का कार्य करता है। इस सेक्शन में शू फेज, स्ट्रिंगर, शू बीम, एडजस्टर व अन्य महत्वपूर्ण उपकरण सेटअप के रूप में लगे होते हैं। ये थर्ड रेल से उच्च दाब स्तर की बिजली सतत लेते हैं। थर्ड रेल में बिजली मेट्रो के कंट्रोल सेंटर से जोड़ी जाती है। कंट्रोल सेंटर में बिजली आपूर्ति मप्र पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी करेगी।
बिजली कंपनी से मेट्रो ट्रेन के लिए बिजली टीसीएस चौराहे के पास पैंथर लाइन से मिली है। इस पैंथर लाइन पर 33 केवी की पैंथर ए और पैंथर बी डबल सप्लाय है। कभी एक में अवरोध आया तो अगले ही सेकंड दूसरी लाइन से बिजली मिलने लगेगी। टीसीएस चौराहे के पास 10 मेगावाट के पाॅवर ट्रांसफाॅर्मर लगे हैं। मेट्रो जितने ज्यादा फेरे लगाएगी, बिजली उतने ही अनुपात में ज्यादा लगेगी।
Updated on:
07 Jun 2024 01:56 pm
Published on:
07 Jun 2024 01:50 pm
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