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इंदौर में नए वायरस का प्रकोप, हजारों लोग बीमार, डॉक्टर नहीं कर पा रहे इलाज

तीन माह तड़पते रहे मरीज, अब भेजा संदिग्ध वायरस का नमूनातीन माह तड़पते रहे मरीज, अब भेजा संदिग्ध वायरस का नमूना

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इंदौर. चिकनगुनिया के समान बीमारी से पिछले तीन माह से पीडि़त शहर के हजारों रहवासियों की पीड़ा को नजरअंदाज कर रहे स्वास्थ्य विभाग ने आखिरकार अब सुध ली है। अब तक नए या चिकनगुनिया के वायरस में बदलाव की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। नए वायरल की पहचान दिल्ली और पुणे की वायरोलॉजी लैब में ही होने की बात कहकर लगातार स्वास्थ्य विभाग बचता रहा। शासन स्तर पर मामला पहुंचने पर अब एम्स भोपाल की वायरोलॉजी लैब में जांच की व्यवस्था की गई और गुरुवार को एक संदिग्ध मरीज के नमूने को जांच के लिए भेजा।
अगस्त से चिकनगुनिया से पीडि़त मरीज सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग निजी लैब की प्राथमिक जांच को मान्य नहीं करता। ऐसे नमूनों को एमजीएम मेडिकल कॉलेज की वायरोलॉजी लैब में मेक एलाइजा जांच के लिए भेजा जाता है, जहां से पुष्टि होने पर चिकनगुनिया माना जाता है। यहां चिकनगुनिया, डेंगू, मलेरिया आदि की जांच होती हैं, लेकिन रिपोर्ट १० से १५ दिन में दी जाती है, तब तक मरीज का इलाज पूरा हो जाता है। इसके अलावा स्वाइन फ्लू या अन्य गंभीर वायरस की जांच या वायरस के प्रकार में बदलाव की जांच की सुविधा नहीं है। ऐसे में नमूने इस साल से भोपाल एम्स की आधुनिक लैब भेजने की सुविधा शुरू हुई है, इससे पहले नमूने जबलपुर लैब भेजे जाते थे।

जीका पर डॉक्टरों को शक
डॉक्टरों का तर्क है, जीका वायरस की आशंका कम है। संभावना चिकनगुनिया या स्वाइन फ्लू जैसे वायरस में बदलाव होने की है, जिस कारण दवाएं असर नहीं कर रही हैं। इसके लिए वायरस के प्रकार का अध्ययन कर वैक्सीन बनाने की जरूरत है। इसको लेकर केंद्र सरकार प्रयास कर रही है, लेकिन दवा एक-दो साल बाद ही उपलब्ध होने का अनुमान है।

एमवाय में भर्ती मरीज के भेजे नमूने
स्वास्थ्य विभाग ने वायरल फीवर के कारण एमवाय अस्पताल में भर्ती मरीज के नमूने भोपाल एम्स में भेजे हैं। इसकी रिपोर्ट मिलने पर वायरल के जीका या अन्य होने की पुष्टि होगी। नमूने चिकनगुनिया की जांच के लिए एमजीएम की वायरोलॉजी लैब में भी भेजे गए हैं।

एम्स में यह जांचें भी
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भोपाल एम्स प्रबंधन को रीजनल वायरोलॉजी लैब के लिए 15 करोड़ रुपए का फंड दिया है। लैब में स्वाइन फ्लू, इबोला, जीका जैसे खतरनाक वायरसों की जांच की जा सकती है। बायो टेरेरिज्म के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने देश में 12 रीजनल बायोलॉजी लैब की स्थापना की है। एम्स की बायोलॉजी लैब इनमें से एक है। इस लैब में एंथ्रेक्स और चेचक जैसे खतरनाक वायरसों की निगरानी की जाएगी। संदिग्ध मामलों की यहां अनिवार्य जांच की जाएगी। लैब का मुख्य मकसद यह है कि आतंक फैलाने में किसी वायरस को जानबूझकर तो नहीं सक्रिय किया जा रहा है।

जीका वायरस अफ्रीका में ही पाया जाता है, देश में अब तक इससे पीडि़त तीन ही मरीजों की पुष्टि हुई है। इस वायरस के लक्षण चिकनगुनिया से बिलकुल अलग है। इसकी संभावना नहीं होने के बाद भी चर्चाओं की पुष्टि के लिए नमूने भेजे हैं। जरूरत हुई तो शासन को नमूने पुणे या दिल्ली भेजने के लिए कहा जाएगा।
डॉ. आशा पंडित, प्रभारी आईडीएसपी