
अमानक मिला नेबुलाइजर का लिक्विड , उपयोग पर लगाई रोक
इंदौर. एक ओर स्वाइन फ्लू का प्रकोप जारी है, वहीं दूसरी ओर मुनाफा कमाने के लिए दवा निर्माता दवाओं की गुणवत्ता को लेकर खिलवाड़ कर रहे हैं। सांस लेने में तकलीफ होने पर खासकर बच्चों के मामलों में नेबुलाइजर में उपयोग किया जाने वाला सालबूटामॉल सॉल्यूशन मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कॉरपोरेशन की जांच में अमानक पाया गया है। कॉरपोरेशन के माध्यम से प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में दवाएं सप्लाई होती हैं।
जांच की गई भोपाल स्थित राज्य खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला में उक्त दवा की जांच की गई थी। जांच में दवा की मात्रा कम होने के साथ अन्य खामियां सामने आने के बाद कॉरपोरेशन ने सभी अस्पतालों को दवा के उपयोग पर रोक लगाने के साथ स्टॉक वापस करने के निर्देश दिए हैं। सीएमएचओ कार्यालय में इस संबंध में निर्देश मिले हैं, जिसके बाद दवा का स्टॉक वापस लौटाया जा रहा है।
शहर में स्वाइन फ्लू से इस सीजन की 45वीं मौत
स्वाइन फ्लू से पीडि़त मरीजों की इलाज के दौरान मौत का सिलसिला जारी है। आइडीएसपी प्रभारी डॉ. संतोष सिसोदिया ने बताया, परदेशीपुरा निवासी 54 वर्षीय पुरुष मरीज को 8 मार्च को एमवाय अस्पताल में भर्ती किया गया था। 11 मार्च को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। बुधवार सुबह इलाज के दौरान मरीज ने दम तोड़ दिया। स्वाइन फ्लू से अब तक 45 मरीजों की मौत हो चुकी है, इनमें से 23 अन्य जिलों से इलाज के लिए आए थे। वहीं 164 स्वाइन फ्लू पीडि़त मरीजों की पुष्टि हुई है, इनमें 102 इंदौर जिले और 62 मरीज बाहरी जिलों के हैं। 40 मरीजों की रिपोर्ट भोपाल से मिलने का इंतजार है।
बाणगंगा व जिला अस्पताल में लगेंगे रैबिज के टीके
श्वान के काटने पर रैबिज के टीके नि:शुल्क लगाने के लिए हुकमचंद पॉली क्लीनिक को नोडल अस्पताल बनाया गया था। इसके बाद वर्षों से दूसरे अस्पतालों से मरीजों को यहां भेजा जाता था। पश्चिम क्षेत्र के लोगों को एमटीएच कंपाउंड तक चक्कर काटना पड़ता था। यहां रोज करीब २०० टीके लगाए जाते हैं। सिविल सर्जन डॉ. एमपी शर्मा ने बताया, अब जिला अस्पताल और बाणगंगा अस्पताल में भी रैबिज के टीके लगाए जाएंगे।
Published on:
28 Mar 2019 02:10 pm
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