
घोटालों का आंकड़ा: 42, 15 और 5.6 करोड़, कार्रवाई के नाम पर जवाब-जांच जारी है
इंदौर. सरकारी विभागों में 5 साल में 3 बड़े घोटाले हुए हैं। एक में 42 करोड़, दूसरे में 15 करोड़ और तीसरे में 5.6 करोड़ की गड़बड़ी हुई। 42 में से 22 करोड़ रुपए की ही वसूली हो पाई है, जबकि अन्य में राशि नहीं मिली। कार्रवाई का आलम यह है कि किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं हुई और जांच ही जारी है।
केस 1: रसीदें चेक करने की फुर्सत नहीं थी इसलिए 42 करोड़ डकारे
42 करोड़ का आबकारी घोटाला वर्ष 2017-18 में आबकारी विभाग में सामने आया। ठेकेदारों से जुड़े लोग कोषालय के साथ विभाग में फर्जी रसीदें जमा करते रहे। बैंक में 15 हजार भरते तो रसीद में छेड़छाड़ कर 15 लाख जमा करना बता देते। आमतौर पर आबकारी, कोषालय व बैंक के अधिकारियों के बीच रसीज (तौजी) की जांच हर 15 दिन में करने का नियम है, लेकिन यहां 2 साल जांच ही नहीं हुई। जब 42 करोड़ की चपत लगी तो रावजी बाजार थाने में ठेकेदार व कर्मचारियों पर केस दर्ज कराया। तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे सहित 7 को सस्पेंड किया। विभाग 42 में से 22 करोड़ ही वसूल पाया। आबकारी विभाग और पुलिस ने अधिकारियों को जिम्मेदार ही नहीं माना। आबकारी विभाग की जांच जारी है।
सरकारी जवाब: टीआइ प्रीतमसिंह ठाकुर का कहना है कि जांच रिपोर्ट मिले तो अधिकारियों की जिम्मेदारी तय हो।-------
केस 2: 15 करोड़ का नुकसान, एक ठेकेदार मिला, दूसरा लापता
दूसरा मामला भी आबकारी विभाग का है। दो ठेकेदार मोहन कुमार व अनिल सिन्हा निवासी बेंगलूरु ने दुकानों का ठेका लेने के बाद 70 हजार की एफडी को 70 लाख बताकर व 47100 रुपए की एफडी को 4 करोड़ 70 लाख 10 हजार बताकर तीन महीने ठेका चलाया। शासन को 15 करोड़ का नुकसान हुआ तो फर्जीवाड़ा सामने आया। 4 अगस्त 2022 को रावजी बाजार थाने में दोनों पर केस दर्ज हुआ। तत्कालीन सहायक आबकारी आयुक्त राज सोनी व ठेका प्रभारी राजीव उपाध्याय को सस्पेंड कर दिया। टीआइ प्रीतम सिंह के मुताबिक, मोहन कुमार को गिरफ्तार किया है, अनिल की तलाश चल रही है।
सरकारी जवाब: आबकारी कंट्रोलर राजीव मुद्गल के मुताबिक, शासन को करीब 15 करोड़ का नुकसान हुआ हैै। पुलिस ठेकेदारों पर कार्रवाई कर रही है। अफसरों की विभागीय जांच जारी है।
केस 3: 5.67 करोड़ का घोटाला, भोपाल में पकड़ाया फर्जीवाड़ा
कलेक्टर कार्यालय के लेखा शाखा के प्रभारी बाबू मिलाप चौहान ने तीन साल में करीब 5 करोड़ 67 लाख का घोटाला किया। पीएफ राशि के साथ विभिन्न अनुदान की राशि पत्नी, भाई व अन्य परिचितों के खातों में ट्रांसफर कर खुद इस्तेमाल कर ली। 3 साल से यहांं घोटाला चल रहा था, भोपाल में बैठे अफसरों ने फर्जीवाड़ा पकड़ा तो उसे सस्पेंड कर एफआइआर दर्ज करा दी। तीन साल में किसी अधिकारी ने फर्जीवाड़े की ओर ध्यान नहीं देकर लापरवाही की। बाबू पर केस दर्ज हो गया, लेकिन किसी अफसर की जिम्मेेदारी तय नहीं की।सरकारी जवाब: रावजी बाजार टीआइ ठाकुर के मुताबिक, दस्तावेजों की जांंच चल रही है। किसी अधिकारी की भूमिका सामने नहीं आई है। जांंच जारी है।
Published on:
28 Mar 2023 07:38 pm
बड़ी खबरें
View Allइंदौर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
