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भ्रष्टाचार से कमाई बेनामी संपत्ति के मामले में बच निकलेंगे अफसर-कर्मचारी

प्रदेश में बेनामी संपत्ति के हजारों प्रकरणों में जांच कर रहा है आयकर विभाग

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इंदौर. बेनामी संपत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। इसके बाद अब बेनामी संपत्ति एक्ट के केस में फंसने वालों को राहत मिलती नजर आ रही है। न सिर्फ आयकर को कार्रवाई से यू-टर्न लेेना होगा, बल्कि बेनामी संपत्ति के कई प्रकरणों में आरोपी भी जेल जाने और जुर्माने से बच जाएंगे।

मुख्य रूप से इसमें 2016 के पहले के मामलों में राहत मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम 1988 की धारा 3 (2) को असंवैधानिक करार दिया है। धारा 3 (2) के तहत बेनामी लेन-देन में शामिल व्यक्ति को तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान था।

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कोर्ट ने कहा कि बेनामी संपत्ति का दायरा बढ़ाने वाले 2016 के संशोधन को पुरानी तारीख से लागू नहीं किया जा सकता। इस फैसले से मप्र-छग के हजारों प्रकरणों में फंसने वालों को राहत की उम्मीद नजर आई है। कर विशेषज्ञों के अनुसार, बेनामी संपत्ति का तात्पर्य ऐसी संपत्तियों से है, जो काली कमाई छिपाने के लिए परिजन, रिश्तेदारों के नाम से खरीदी जाती है।

2016 से पहले के केस वालों पर नहीं होगी कार्रवाई
टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन (TPA) के पूर्व सचिव सीए मनोज गुप्ता का कहना है, कोर्ट के फैसले के बाद ऐसा लेन-देन और संपत्तियां, जो 1 अक्टूबर 2016 से पहले की हैं, उन पर अब कार्रवाई मुश्किल है। ऐसे कई सरकारी अफसर-कर्मी जिनकी जांच चल रही है, वे कार्रवाई से बच जाएंगे। आइसीएआइ इंदौर शाखा के पूर्व अध्यक्ष सीए पंकज शाह बताते हैं बेनामी कानून 1988 से है। 2016 में इसमें संशोधन किए थे। सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उसमें स्पष्ट है कि ऐसे लेन-देन जो 2016 से पहले के हैं, उन पर नए प्रावधानों के तहत कार्रवाई नहीं होगी।