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इंदौर में बोले पंडित मिश्रा-न सास बुरी ना बहू, समय का चक्र बुरा है

घर-घर की कहानी होती है कि सास से बहू परेशान है और बहू से सास परेशान है। इसमें न तो सास बुरी है ना बहू बुरी है।

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इंदौर में बोले पंडित मिश्रा-न सास बुरी ना बहू, समय का चक्र बुरा है

इंदौर में बोले पंडित मिश्रा-न सास बुरी ना बहू, समय का चक्र बुरा है

इंदौर. घर-घर की कहानी होती है कि सास से बहू परेशान है और बहू से सास परेशान है। इसमें न तो सास बुरी है ना बहू बुरी है। बस समय का चक्र बुरा है। जब हम अदालत में तलाक मांगने के लिए जाते हैं तो अदालत भी पहले समझाने का काम करती है। इस समझाने से आशा यही है कि जो समय का बुरा चक्र है वह निकल जाए। तो फिर उसके बाद सभी कुछ अच्छा होता है।

जरूरत इस बात की है कि सास भी थोड़ा संयम रखें और बहू भी थोड़ा ध्यान दे। इन दोनों के साथ में रहने से दोनों के जीवन में बहुत सुख है। घर में शांति हमें ही लानी होगी। कोई बाबा या संत पुड़िया देकर आपके घर में शांति नहीं ला सकता है।

यह कहना है पंडित प्रदीप मिश्रा का। वे दलालबाग में चल रही श्री शिव महापुराण कथा के दौरान श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। विधायक संजय शुक्ला द्वारा आयोजित कथा के चौथे दिन उन्होंने कहा कि जो लोग कथा सुन रहे हैं। यह कोई सामान्य लोग नहीं हैं। ये वे लोग हैं जिन्हें शिव तत्व प्राप्त हुआ है। शिव की कृपा प्राप्त हुई है। घर-घर की कहानी होती है कि सास से बहू परेशान है और बहू से सास परेशान है। इसमें न तो सास बुरी है ना बहू बुरी है।

उन्होंने कहा हमारे देश में फिल्म और नाटक ने लोगों को मंदिर से दूर कर दिया था, लेकिन जब से शिव महापुराण कथा शुरू हुई है, तब से बड़ी संख्या में लोग भगवान शिव के मंदिर में जाने लगे हैं। हर व्यक्ति भगवान शिव को एक लोटा जल और एक बिल्वपत्र चढ़ाने के लिए पूरे मनोभाव से जाता है। कोरोनाकाल आने से पहले व्यक्ति पूरे साल में एक बार भगवान शिव का अभिषेक करता था। अब लोग पूरे साल में दो बार या उससे ज्यादा शिवजी का अभिषेक करने लगे हैं। अब लोगों के मन के भाव भी बदलने लगे हैं ।

बच्चे के लिए महाकाल के रूप में शिव प्रकट हुए

मिश्रा ने कहा कि जीवन का बुरा समय चौराहे के रेड सिग्नल की तरह होता है। जिस तरह हम रेड सिग्नल पर अपनी गाड़ी रोक लेते हैं, उसी तरह से बुरे समय में भी यदि हम शांति रख लेंगे तो वह समय निकल जाएगा और ग्रीन सिगनल में तेजी से आगे बढ़ सकेंगे। एक 5 साल के बच्चे के विश्वास का प्रतिफल देने के लिए भगवान शिव महाकाल के रूप में प्रकट हुए। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जहां पर भगवान के नयन, चेहरा, मूंछ बनाई जाती है।