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इस मंदिर में दंडवत प्रणाम करते हैं तोते, फिर शुरु होता है लाखों पक्षियों का भंडारा

MP News: यहां लाखों की संख्या में पक्षी, जिसमें विशेषकर तोते भगवान के आगे दंडवत प्रणाम करते है और मंदिर की परिक्रमा भी करते हैं। यहां सभी पक्षियों के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है। ये भंडारा चार से पांच पंगतों में चलता, जिसमें लाखों पक्षी नियमों का पालन करते हुए शामिल होते हैं।

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तोतों का भंडारा

Indore Panchkuian Shri Ram Mandir (फोटो सोर्स : पत्रिका)

राहुल दवे

MP News: मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में हर साल एक ऐसा अद्भुत नजारा देखने को मिलता, जो किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। ज्यादतर लोगों ने इंसानों को भक्ति में लीन देखा होगा, लेकिन इंदौर में एक ऐसा मंदिर है, जहां भक्ति में लीन लाखों पक्षी देखने को मिलते हैं। यहां लाखों की संख्या में पक्षी, जिसमें विशेषकर तोते भगवान के आगे दंडवत प्रणाम करते है और मंदिर की परिक्रमा भी करते हैं। यहां सभी पक्षियों के लिए भंडारे का आयोजन किया जाता है। ये भंडारा चार से पांच पंगतों में चलता, जिसमें लाखों पक्षी नियमों का पालन करते हुए शामिल होते हैं।

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साल में एक बार आते हैं लाखो पक्षी

इंदौर के पंचकुईया स्थित श्री राम मंदिर के ठीक पीछे रामपत हनुमान(Indore Hanuman Mandir) जी का मंदिर है। यहां भारी संख्या में पक्षी पहले दंडवत प्रणाम करते हैं, उसके बाद में यहां पर उनका भंडारा चालू होता है। बताया जाता है कि साल में एक बार श्रावण मास के समय यहां लाखों की संख्या में पक्षी आते हैं, जिसमें बहुत सी संख्या में तोते होते हैं। सुबह साढ़े पांच बजे से इनके आने का क्रम चालू होता है।

ध्वज पर बैठता है तोता फिर शुरू होता है भंडारा

मंदिर की परिक्रमा करने के बाद पक्षियों के झुंड में से एक तोता मंदिर के ध्वज पर जाकर बैठता है, जिसके बाद उनके भंडारे का सिलसिला शुरू होता है। मंदिर के छत पर भारी मात्रा में ज्वार बिखेर दिया जाता है। अलग-अलग पंगतों में आकर पक्षी दाना चुंगते है और फिर उड़ कर पेड़ पर बैठ जाते हैं। इसके बाद दुसरी पंगत शुरू होती है, जिसमें दुसरे पक्षी दाना चुगते है। बताया जाता है कि पंगत के चार से पांच क्रम होते हैं।

संतों की तपोभूमि

मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि ये संतों की तपोभूमि है।बहुत सारे संतों ने यहां पर तपस्या की है और ये पक्षी संतों का ही एक रूप है, जो पुनर्जन्म में वापस तोता बनकर यहां पर आते हैं।जिस तरीके से महाकुंभ में 12 साल में एक बार संतों का मेला लगता है। ठीक वैसे ही इंदौर में भी साल में एक बार पक्षियों का ये मेला लगता है।