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Patrika Raksha Kavach Abhiyan: पत्रिका स्टिंग में चौंकाने वाला खुलासा, ऐसे बना रहे साइबर ठगी का नेटवर्क

Patrika Raksha Kavach Abhiyan: पत्रिका स्टिंग में बड़ा खुलासा, बैंक खाता किराए पर लेकर साइबर ठगों के गिरोह तक पहुंचा रहे दलाल, पुलिस से बेखौफ दलाल रिपोर्टर से बोला... पुलिस की चिंता ना करना, निपटा लेंगे

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Patrika Raksha Kavach Abhiyan: भूपेंद्र सिंह. देश में साइबर ठगी के लाखों-करोड़ों के लेन-देन बैंक खातों से हो रहे हैं। ठगों ने खाते हथियाने के लिए गली-मोहल्लों तक पहुंच बना रखी है। नेटवर्क ऐसा है कि दलाल किराए पर खाते लेते हैं और ठगों के गिरोह तक पहुंचा देते हैं। इसका खुलासा 'पत्रिका' के स्टिंग ऑपरेशन में हुआ। पत्रिका रिपोर्टर ने दलाल से संपर्क किया तो वह बैंक खाता किराये पर लेने को तैयार हो गया। एक करोड़ रुपए से अधिक लिमिट के कॉर्पोरेट खाते पर 1 से 5 फीसदी तक कमीशन देने की भी बात कही। पुलिस की चंगुल में आने पर दलाल ने यह भी भरोसा दिया कि चिंता मत करो, उसका निराकरण करा देगा।

बैंक खाता उपलब्ध कराने वाले दलाल से रिपोर्टर की बातचीत के अंश

रिपोर्टर: क्या नाम है?

दलाल: नाम नहीं बता पाऊंगा।

रिपोर्टर: कॉर्पोरेट बैक अकाउंट कमीशन पर चलाना है।

दलाल: ठीक है, लगा देंगे, बैंक खाते की लिमिट कितनी है?

रिपोर्टर: 1 करोड़ रुपए से ज्यादा की है, खाता कैसे चलेगा?

दलाल: लिमिट के हिसाब से चलेगा।

रिपोर्टर: खाता कब तक चलेगा?

दलाल: ये अपने ऊपर नहीं रहता है। बैंक वाले जब तक होल्ड नहीं करते, तब तक चलता रहेगा।

रिपोर्टर: 50 फीसदी कमीशन भी मिलेगा ना?

दलाल: उसमें पेमेंट होल्ड करना पड़ता है। वो काम मत करो। उसमें 50 लाख रुपए रोके तो 1 करोड़ की शिकायत आती है।

रिपोर्टर: एक कॉर्पोरेट खाते पर कितना कमीशन मिलेगा?

दलाल: 1 करोड़ से अधिक लिमिट के कॉर्पोरेट खाते पर 1 से 5 फीसदी।

रिपोर्टर: पुलिस पकड़ेगी तो?

दलाल: कुछ नहीं होगा, उसका निराकरण भी हम करवाते हैं।

रिपोर्टर: खाता किसे दोगे?

अन्य व्यक्ति दलाल से..पहले जिनसे कराया शुभम और गोलू भाई से कराओगे क्या?

दलाल: नहीं। दूसरे से कराएंगे। अभी फोन आया था उस्ताद का।

रिपोर्टर: कितने प्रतिशत कमीशन मिलेगा?

दलाल: आगे से डेढ़ प्रतिशत कमीशन आएगा। प्योर गेमिंग (गेमिंग यानी ठगी का पैसा), लिमिट का 80-85 प्रतिशत चलता है। लिमिट में चलाएंगे तो 5 दिन भी खाता चल जाएगा। रोज काम होगा आपका।

कमीशन का ऐसा खेल

दलाल खाताधारकों से खाता नंबर, क्यूआर कोड, सिम, ई-मेल पासवर्ड आदि ले लेते हैं। ठगों तक पहुंचाते हैं। जैसे ही ठगी का पैसा खाते में आता है, खाते से पैसा निकाल आपस में बंटवारा कर लेते हैं।

ऐसे चलती है ठगी की चेन

1.ठग: इनका गिरोह दूर दराज बैठकर ठगी को अंजाम देता है। गिरोह के लोग ही इन्हें बैंक खाता उपलब्ध कराते हैं।

2.ठगों के लोग: ये लोग दलालों से संपर्क कर कमीशन पर बैंक खाता ठगों को उपलब्ध कराते हैं।

3.दलाल: ये दलाल आम जनता के बीच के होते हैं, जो लोगों का कॉर्पोरेट खाता खुलवाकर गिरोह को देते हैं, फिर ठगी के रुपए जमा होते हैं।

4. खाताधारक: खाताधारक के खाते में ठगी की राशि आती है लेकिन ऊपर की चेन पुलिस गिरफ्त से दूर रहती है।

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