
देश के सबसे बड़े ऑटो टेस्टिंग ट्रैक पीपीपी पर देने की तैयारी
राज्य सरकार से मुफ्त में ली ५ हजार करोड़ की जमीन पर बना ट्रैक
नेट्रैक्स पीथमपुर के साथ अन्य चार प्रोजेक्ट भी इसमें शामिल
इंदौर.
देश के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय ऑटो टेस्टिंग ट्रैक नेट्रिप (नेशनल ऑटोमोटिव टेस्टिंग और आर एंड डी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट) के पीथमपुर सहित चारों केंद्र मल्टीनेशनल कंपनी को पीपीपी मॉडल पर देने की तैयारी की जा रही है। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा पीथमपुर के नेट्रेक्स (नेशनल ऑटोमेटिव टेस्टिंग ट्रैक) , चैन्नई, मानेसर, व सिलचर आसाम के ऑटो मोबाईल रिसर्च केंद्रों का ऑपरेशन व संचालन मल्टी नेशनल कंपनी को सौंपने का सैंध्दातिक निर्णय लिया है। इसके लिए कंन्सल्टेंट नियुक्त कर दिया गया है, जल्द ही इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टेंडर निकालें जाएंगे। बताया जा रहा है, इसे लेने में यूरोप व अमेरिका की कुछ बड़ी कंपनियों ने रूचि दिखाई है। इस सारे मामले में खास बात यह है, राज्य सरकार ने ट्रैक के लिए ४२०० एकड़ जमीन मुफ्त में दी थी। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने राज्य के साथ इस संबंध में कोई चर्चा नहीं की है। इसके निजी हाथों में चले जाने से इसका उपयोग महंगा होने की संभावना है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने देश में ऑटो मोबाइल क्षेत्र में अनुसंधान व विकास के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए एक प्रोजेक्ट बनाया था। इसके तहत पीथमपुर का चयन किया गया। इसके लिए राज्य सरकार से जमीन की मांग की गई। सरकार ने दुनिया के डेट्राईट बनने के सपने को देखते हुए केंद्र की बात मानी और करीब १५ वर्ष पहले ४२०० एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर केंद्र को सौंपी थी। सरकार ने पीथमपुर मंे ऑटो टेस्टिंग टै्रक, रिसर्च और स्टडी सेंटर का निर्माण किया जाना था। २०१० तक इसे पूरा करने का निर्णय लिया गया था। बाद में योजना खटाई में पड़ गई और पीथमपुर के हाथ ऑटो टेस्टिंग ट्रैक ही बन सका। इसकी औपचारिक शुरूआत अप्रैल-२०१८ में हुई है। अभी इसके संचालन की शुरूआत किए ४ माह भी नहीं हुए, भारी उद्योग मंत्रालय में इसके संचालन व रखरखाव के लिए पब्लिक प्रायवेट पार्टनशिप पर इसे देने की तैयारी कर ली गई। केबिनेट मंे इस संबंध में निर्णय ले कर एक रिपोर्ट तैयार करवाई जा रही है। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने बड़ी अपेक्षाओं के साथ जमीन दी थी। जमीन के बदले बड़ी मुआवजा राशि किसानों को चुकाना पड़ी थी। इसमें पहले ही वादा खिलाफी हो चुकी है। अब सरकार से बिना पूछे इसे मल्टी नेशनल कंपनियों के हवाले किया जा रहा है। एक प्रसिध्द टायर कंपनी के उच्च अधिकारी के अनुसार सरकार ने घरेलू उद्योगों को विकसित करने के लिए यह सुविधा बनाई है। यदि इसका संचालन निजी हाथों में चला जाएगा तो मेक इन इंडिया की सार्थकता पर प्रश्नचिंह लगेंगे। इसके उपयोग की कीमत भी अपने नफे-नुकसान के आधार पर करेंगे।
ट्रैक का उपयोग महंगा होगा
पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने बताया, केंद्र के इस निर्णय की जानकारी लगते ही राज्य सरकार के अधिकारियों से जानकारी ली गई। इसके लिए मुख्य सचिव को एक चिठ्ठी लिखी है। केंद्र सरकार ने जमीन मुफ्त में दी है। ५ हजार करोड़ की जमीन पर १३२१ करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने खर्च किए। अब कमाई कोई और करेगा। जबकि सरकार ने स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिले इस उद्देश्य से जमीन दी थी।
सरकार ने मंशा जाहिर की है
भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव विश्वजीत सहाय ने बताया, सरकार ने सैंध्दातिक निर्णय लिया है। इसके लिए संभावनाएं तलाशी जा रही है। सरकार की मंशा है, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे प्रचारित करने के लिए एेसा करना जरूरी है। राज्य सरकार, स्टेक होल्डर व विशेषज्ञों को जानकारी दे कर आगे बढ़ेगे।
एक बार प्रारूप आने दें
उद्योग व वाणिज्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल का कहना है, केंद्र सरकार इसका संचालन करती है। वह देश के उद्योगों के हित में ही निर्णय लेगी। एक बार प्रारूप आने दें, उसके बाद ही कुछ कहना उचित होगा।
दिसंबर -२०१९ तक पूरा होना है
पीथमपुर के टेस्टिंग ट्रैक का निर्माण पूरा हो गया है। यहा पर १३ किमी का हाई स्पीड टै्रक है। इसके अलावा पावरट्रैक लैब और एनवीएच टैस्टिंग ट्रैक है। वर्तमान मंे हैवी व्हीकल के लिए भी हाई स्पीड टैस्टिंग टै्रेक तैयार हो रहा है।
चाइना-यूरोप से हो रही पूछताछ
सेंटर के प्रभारी डॉक्टर एन करूपैय्या का कहना है, सेंटर का संचालन अच्छे से हो रहा है। देश की प्रमुख ऑटो मोबाईल कंपनियां आयशर-वाल्वो, महेन्द्रा, टाटा, टॉयर कंपनियां जेके, ब्रिजस्टोन आदि लगातार काम कर रही है। हाल ही में चाईना की कंपनी वोडगार्ड व यूरोप की कंपनियों ने भी पूछताछ की है।
Published on:
26 Jun 2018 04:16 am
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