नाटक मानवीय रिश्तों से गूंथा हुआ है। इसमें प्रेम, स्नेह, शंका, षड़यंत्र, सबकुछ है। अभिनय का जहां तक सवाल है तो विनायक राव के रूप में सुशील जौहरी जमे हैं। शकू के पिता के रूप में तपन मुखर्जी भी सहज रहे। मंदबुद्धि युवती की भूमिका शेफाली सिंह ने अच्छी तरह निभाई, लेकिन निर्देशक के रूप में सुनील गायकवाड़ नाटक में कसावट नहीं ला पाए। नाटक में अनावश्यक रूप से गीत रखे गए, जिससे लंबाई बढ़ गई।