
रिश्वतखोरी में पुलिस ज्यादा हुई ट्रैप, शिक्षा विभाग दूसरे नंबर पर
इंदौर. लोकायुक्त पुलिस ने 2019 में रिश्वतखोरी के 34 मामलों में अफसर-कर्मचारियों को ट्रैप किया। सबसे ज्यादा 7 मामलों में पुलिस अफसर व कर्मचारी चपेट में आए। शिक्षा विभाग दूसरे नंबर पर रहा। इस साल भ्रष्टाचार से संबंधित 55 मामलों में कोर्ट से फैसला आया, जिसमें 43 मामलों में सजा हुई। कोर्ट के सरकार को सख्त निर्देश से इस साल सरकार से चालान पेश करने की 32 अनुमतियां लोकायुक्त को मिली, जिनमें जांच के बाद 22 में चालान पेश किया। 2018 में 20 मामलों में चालान पेश हुए थे, उस दौरान कोर्ट ने 49 मामलों में सजा सुनाई। लोकायुक्त के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में कुल 51 मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2019 में यह संंख्या बढक़र 56 हो गई है।
रिश्वतखोरी के ये मामले पकड़े गए
लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वतखोरी के जितने मामले ट्रैप किए, उसमें सबसे ज्यादा पुलिस विभाग के अफसर-कर्मचारी चपेट में आए। 6 नवंबर को रेत से भरी गाड़ी छोडऩे के एवज में रिश्वत लेने के मामले में लोकायुक्त ने सिमरोल टीआई राकेश नैन, आरक्षक बिजेंद्र धाकड़ व होमगार्ड जवान दीपक पटेल को आरोपी बनाया था। इस एक केस में तीन आरोपी बने। इसी तरह सराफा थाने के मामले में सिपाही अंकित के साथ नगर सुरक्षा समिति का सदस्य राजेंद्र तिवारी भी आरोपी बना। कुल 7 मामलों में 10 आरोपी बने जबकि शिक्षा विभाग में रिश्वत के 4 मामलों में कर्मचारी ट्रैप हुए। 3 मामलों में पटवारी एवं तीन ही मामलों में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भी रिश्वत लेते पकड़े गए।
Published on:
27 Dec 2019 01:48 am
बड़ी खबरें
View Allइंदौर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
