
इंदौर। आइआइटी इंदौर और पीआरएल अहमदाबाद के खगोल भौतिकविदों की टीम ने ऐसा अत्याधुनिक सौर पवन मॉडल तैयार किया है, जो अंतरिक्ष में सौर हवा के गुणों की भविष्यवाणी कर सकता है। ये मॉडल इसरो के मिशन आदित्य एल-1 में अहम भूमिका निभाएगा।
मालूम हो, सौर पवन धाराएं पृष्ठभूमि के रूप में कार्य करती हैं और होलिओस्फीयर में अंतरिक्ष मौसम चालकों के प्रसार को नियंत्रित करती हैं। इन्हीं धाराओं से भू-चुंबकीय तूफान गतिविधि प्रेरित होती है। इस मॉडल के लिए इन संस्थानों को इसरो रिस्पोंड कार्यक्रम में फंडिंग मिली है।
आइआइटी के खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और अंतरिक्ष इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. भार्गव वैद्य ने बताया कि यह एक स्वदेशी संख्यात्मक ढांचा है, जो आदित्य एल-1 से इन-सीटू डेटा के मूल्यांकन में मदद करेगा। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को आकार देने की दिशा में भारतीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों को शामिल कर इसरो ने उदाहरण प्रस्तुत किया है।
पृथ्वी की तुलना में तेज रफ्तार
सूरज से निकलने वाली हवाएं अलग-अलग दिशा में बहती हैं। इन हवाओं की रफ्तार पृथ्वी की तुलना में काफी तेज होती है। इन्हीं के कारण सूरज के मैग्नेटिक फील्ड का अंतरिक्ष तक पहुंचना संभव हो पाता है।
बुनियादी ढांचे पर प्रतिकूल प्रभाव
शोधकर्ताओं ने यह मॉडल सौर सतह के अवलोकन के आधार पर बनाया है। उच्च गति वाली यह सौर हवा सौर गतिविधि से चलती है। धीमी गति वाली हवा के साथ उच्च गति वाली हवा की परस्पर क्रिया संकुचित और अशांत स्ट्रीम इंटरेक्शन रिजन बनाती है, जो मुख्य रूप से कमजोर से मध्यम भू-चुंबकीय तूफानों का कारण है।
Published on:
03 Sept 2022 01:01 pm
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