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सेंट्रल जेल में कैदियों को मिली मोटिवेशनल स्पीच

स्पीकर रोशिया ब्लिस की सीईओ  प्रो.अर्चना शर्मा ने दी सकारात्मक सोच की सलाह

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Veejay Chaudhary

Apr 10, 2016

central jail

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इंदौर.
आपका केवल शरीर कैद में है, मन कैद नहीं है इसलिए मन को सकारात्मक दिशा में मोडि़ए, सोचने का तरीका बदलिए और अपनी सोच को सकारात्मक दिशा दीजिए। सकारात्मक सोच से आप जेल में भी आजादी महसूस करेंगे। ये बातें मोटिवेशनल स्पीकर रोशिया ब्लिस की सीईओ प्रो.अर्चना शर्मा ने सेंट्रल जेल के कैदियों से कही। वे शनिवार को जेल में मोटिवेशनल स्पीच दे रही थीं। विषय था 'फाइंडिंग फ्रीडम इन प्रिजनÓ। अर्चना ने कहा कि हम जितनी भी तकनीक का उपयोग करते हैं, चाहे वह फोन, टीवी या इंटरनेट सभी तरंगों पर आधारित है। ठीक वैसे हमारे मन में भी तरंगें होती हैं, जो दूर तक जाती हैं। जैसा सोचेंगे, वैसी ही तरंगें दूसरों तक पहुंचाएंगे।


बीमारियां आइसबर्ग हैं

प्रो. शर्मा ने बताया कि जिस तरह आइसबर्ग तभी दिखाई देता है, जब उसका सिरा पानी से ऊपर आता है, जबकि पानी के अंदर वह बहुत बड़ा होता है। इसी तरह बीमारियों का पता हमें तब लगता है, जब डॉक्टर उन्हें पहचानता है। इसी प्रकार हमारे मन में भरे क्रोध, ईष्र्या और दुर्भावना रूपी बीमारियां शरीर में धीरे-धीरे पनपने लगती हैं, जब वे ज्यादा बढ़ जाती हैं, तब उनका इलाज शुरू होता है।


भविष्य के बारे में सोचें

जो हो चुका, उसे छोड़ कर यह सोचें कि जब जेल से बाहर जाएंगे, तब क्या करेंगे। जेल में रहकर अपने आप को इस लायक बना सकते हैं कि अपने परिवार के लिए और समाज के लिए कुछ कर पाएं। कार्यक्रम के दौरान बड़ी संख्या में कैदी और जेल अधीक्षक दिनेश मर्गवे, उपअधीक्षक केके कुलश्रेष्ठ और ललित दीक्षित भी मौजूद थे।


सोचना सीखिए

बचपन से कोई हमें सोचना नहीं सिखाता। यह भी सीखने की चीज है। अच्छी सोच के लिए हमें मन में सभी के प्रति अच्छी भावना रखनी होगी। सुबह उठने के बाद आधा घंटे कुछ भी बुरा न सोचें। दुर्भावना का खयाल भी न लाएं। सोने से आधा घंटे पहले भी एेसा ही करें।

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