आपका केवल शरीर कैद में है, मन कैद नहीं है इसलिए मन को सकारात्मक दिशा में मोडि़ए, सोचने का तरीका बदलिए और अपनी सोच को सकारात्मक दिशा दीजिए। सकारात्मक सोच से आप जेल में भी आजादी महसूस करेंगे। ये बातें मोटिवेशनल स्पीकर रोशिया ब्लिस की सीईओ प्रो.अर्चना शर्मा ने सेंट्रल जेल के कैदियों से कही। वे शनिवार को जेल में मोटिवेशनल स्पीच दे रही थीं। विषय था 'फाइंडिंग फ्रीडम इन प्रिजनÓ। अर्चना ने कहा कि हम जितनी भी तकनीक का उपयोग करते हैं, चाहे वह फोन, टीवी या इंटरनेट सभी तरंगों पर आधारित है। ठीक वैसे हमारे मन में भी तरंगें होती हैं, जो दूर तक जाती हैं। जैसा सोचेंगे, वैसी ही तरंगें दूसरों तक पहुंचाएंगे।