
इंदौर. इंदौर का वर्चस्व सुपारी कारोबार में धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। इसका मुख्य कारण दूसरे राज्यों की अपेक्षा ऊंची लागत होना। नागपुर का बढ़ता कारोबार भी इंदौर के कारोबार को कम कर रहा है। इंदौर बाजार में हम्माली, ट्रांसपोर्ट महंगा होना व बाजार में धन की तंगी लगातार बढ़ी रही है। इंदौर बाजार में 10 रुपए प्रति एक बोरी हम्माली लग रही है वहीं लोहा मंडी तरफ 30 रुपए प्रति बोरी हम्माली है। यहां 10 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ट्रांसपोर्ट भाड़ा लगता है।
1990 से 2007 तक इंदौर सुपारी व्यवसाय में पूरे भारतवर्ष में सबसे ज्यादा कारक करने वाला शहर था। 1995 तक सुपारी मुंबई से इंदौर आती थी। तत्पश्चात करेल व मैंगलोर के व्यावसाई ने इंदौर आकर अपना व्यवसाय 1990 से शुरू किया, जिससे इंदौर को एक अलग पहचान मिली। इंदौर से उत्तप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तक यहां से बड़ी मात्रा में माल जाता था एवं सुपारी पड़ते के हिसाब से बिकती थी। धीरे-धीरे सुपारी के व्यवसाई बढ़ते गए एवं 1998 से ट्रांसपोटर्स ने अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया। इसने मैंगलोर और केरल के भाड़े में दिन प्रतिदिन वृद्धि से सुपारी व्यवसाय को बुरी तरह प्रभावित किया।
वहीं इंदौर में मजदूरी व हमाली की दर अधिक होने से भी सुपारी व्यापार वरन पूरे सियांगज किराना व्यवसाय पर इसका असर पड़ा। धीरे-धीरे सुपारी व्यवसाय महाराष्ट्र की नागपुर मंडी एवं जलगांव में पलायन करने लगा। पिछले पांच साल में निरंतर नागपुर एंव इंदौर मंडी में भाव का अंतर बना हुआ है।
बाजार में धन
की तंगी
वर्तमान में नई सुपारी की आवक प्रारंभ हो गई है। नया माल 252 से 258 रुपए बिक रहा है, जो फ्रेश छोल चालीसरी सुपार के समान भाव है। चालीसरी क्वालिटी का भाव 252 से 27, मैंगलौर 260 से 305 रुपए और आयातित 245 से 260 रुपए चल रहा है। बड़े स्टॉकिस्टों की सक्रियता से भाव में तेजी के प्रयास किए जा रहे हंै, लेकिन ग्राहकी का सपोर्ट नहीं है, जिसके कीमतें बढ़ नहीं रही हंै। बाजार में धन की तंगी छाई हुई है, जिससे कारोबार एकदम सुस्त चल रहा है। तेजी-मंदी के खेल में छोटा व्यापारी फिर से धोखा खाकर नुकसान में बैठ गया है। आने वाले दिनों में नए माल की आवक बढऩे की संभावना है। इस बार फसल बंपर है। ।
- नईम पालवाल, सुपारी कारोबारी
Published on:
20 Feb 2018 04:25 pm
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